बोनस शेयर क्या हैं — सरल भाषा में

कभी-कभी कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को मुफ्त शेयर देती हैं — इन्हें बोनस शेयर कहते हैं। कंपनी रिज़र्व या रिज़ल्टेड प्रॉफिट को शेयर में बदलकर मौजूदा शेयरधारकों को देती है। इसका मकसद शेयरहोल्डर की हिस्सेदारी बनाए रखना और शेयरों की संख्या बढ़ाना होता है, बिना कंपनी की कुल बाजार पूंजी में बदलाव किए।

कैसे काम करता है: रिकॉर्ड डेट, अलॉटमेंट और असर

पहले बोर्ड बोनस जारी करने का प्रस्ताव पास करता है और रिकॉर्ड डेट तय होती है। जो निवेशक उस रिकॉर्ड डेट पर कंपनी का शेयर रखते हैं, उन्हें बोनस शेयर अलॉट किए जाते हैं। उदाहरण: अगर आपने 100 शेयर रखे और कंपनी ने 1:1 बोनस दिया, तो आपको 100 और मुफ्त शेयर मिलेंगे। कुल शेयर 200 होंगे।

कीमत पर असर साफ है: मार्केट कैप वही रहता है, इसलिए प्रति शेयर की कीमत प्रोपोर्शनली कम हो जाती है। ऊपर वाले उदाहरण में अगर पुरानी कीमत ₹200 थी, तो बोनस के बाद कीमत ~₹100 हो सकती है। पर आपकी कुल संपत्ति का वैल्यू बदलता नहीं है (200 x ₹100 = 100 x ₹200)।

निवेशक के लिए जरूरी बातें

1) बोनस का कारण पढ़ें: कंपनी रिज़र्व कैपिटलाइज़ कर रही है या कोई स्ट्रैटेजिक वजह है? कभी-कभी बोनस के पीछे बढ़ती कंपनी होती है, पर कई बार यह शेयरलिक्विडिटी बढ़ाने का तरीका भी हो सकता है।

2) रेशियो और रिकॉर्ड डेट गौर से देखें: 1:2, 1:1, 2:1 जैसे रेशियो से आपको मिलने वाले शेयरों की संख्या पता चल जाएगी।

3) EPS और P/E पर असर: बोनस मिलने से EPS घटता है (क्योंकि शेयर संख्या बढ़ती है), जिससे P/E भी बदल सकता है। इसका मातबल कंपनी की मूल फंडामेंटल स्थिति समझकर ही फैसला लें।

4) टैक्स और लॉन्ग-टर्म प्लान: आम तौर पर बोनस शेयर मिलने पर तुरंत टैक्स नहीं लगता, पर बेचते समय कैपिटल गेन नियम लागू हो सकते हैं। टैक्स के मामलों में अपने CA या टैक्स सलाहकार से पूछ लें।

बोनस शेयर पर जल्द-बाज़ी मत करें। देखें कि कंपनी की आरक्षित स्थिति, कर्ज और ग्रोथ रेट क्या दिखाती है। बोनस जारी करना हमेशा सकारात्मक संकेत नहीं होता — कभी-कभी यह मार्केट को खुशी देने का जरिया होता है पर फंडामेंटल कमजोर भी हो सकते हैं।

कहां चेक करें: कंपनी के शेयर होल्डिंग रिपोर्ट, BSE/NSE घोषणाएं, और कंपनी की एडजस्टेड शेयर अलॉटमेंट नोटिस देखें। आपके डिमैट खाते में अलॉटमेंट की जानकारी और लिस्टिंग डेट भी उपलब्ध होगी।

अगर आप ट्रेडिंग या निवेश करते हैं तो बोनस के ऐलान पर पहले अपना पोर्टफोलियो चेक करें। कुछ निवेशक बोनस को खरीदारी का सिग्नल मानते हैं, कुछ बिकने का। हमेशा कारण समझकर और रिस्क के अनुसार कदम उठाएँ।

दैनिक समाचार चक्र पर 'शेयर बाजार' और 'आईपीओ' से जुड़े लेख देखिए — वहां से कंपनी की हालिया घोषणाओं और मार्केट रिएक्शन की अपडेट मिलेगी। बोनस की खबरें अक्सर शेयर की छोटी-मोटी कीमत हिलाकर ट्रेडिंग अवसर देती हैं, पर समझदारी जरूरी है।