चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव की तिथियां घोषित
भारत के चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा की है। महाराष्ट्र में मतदान 20 नवंबर, 2024 को होना है, जबकि झारखंड में चुनाव कई चरणों में होंगे, जिसकी संभावना जम्मू और कश्मीर के हालिया चुनाव की तरह ही है। यह कदम विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा मोड़ बन सकता है क्योंकि ये चुनाव कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में चुनावी परिदृश्य
महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय दो प्रमुख गठबंधन सक्रिय हैं। एक ओर महा विकास अघाड़ी है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार ग्रुप), और कांग्रेस शामिल हैं। दूसरी ओर महायुति गठबंधन है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे ग्रुप), और एनसीपी (अजीत पवार ग्रुप) हैं। ये चुनाव इन दोनों गठबंधनों के बीच सीधी लड़ी में तब्दील हो सकते हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है, इसलिए यह चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले विधानसभा चुनावों में, महा विकास अघाड़ी ने सत्ता में वापसी की थी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता किसे चुनती है, खासकर तब जब राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर महत्वपूर्ण मुद्दे उठ रहे हैं।
झारखंड चुनाव और राजनीतिक वातावरण
झारखंड में भी चुनाव का मौसम गर्म हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जमुमो) ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को लेकर प्रश्न उठाए हैं, यह दावा करते हुए कि भाजपा नेताओं को चुनाव की तारीखों की घोषणा से एक दिन पहले ही जानकारी मिल गई थी। ऐसी स्थिति में जब जमुमो सत्ता में है और उसकी पहल चुनौतीपूर्ण है, भाजपा ने यह दावा किया है कि वह झारखंड में सत्ता में वापसी कर सकती है।
भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने यह दावा किया कि हेमंत सोरेन जमुमो वंश के अंतिम 'युवराज' होंगे। इस वक्तव्य का राजनीतिक महत्व देखते हुए, यह दावा दर्शाता है कि भाजपा इस समय कितनी उम्मीदों के साथ झारखंड के चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल
यह भी सामने आया है कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव की तारीखों की घोषणा अलग-अलग करने का निर्णय लिया है, जबकि दोनों राज्यों के चुनाव की तारीखें एक-दूसरे के नजदीक हैं। विपक्षी दलों ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और आलोचना की है।
झारखंड कांग्रेस के प्रमुख राजेश ठाकुर ने चुनाव आयोग के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि चुनाव एक साथ कराने की बजाय अलग-अलग कराने का निर्णय गलत है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। विपक्ष की ये प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि चुनाव आयोग के निर्णय पर उन्हें संदेह है, लेकिन वे चुनाव में भाग लेने के लिए तैयार भी हैं।
उपचुनाव की संभावनाएं
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों और उत्तराखंड में एक सीट पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा करने पर भी विचार किया है। विधानसभा की 47 सीटें फिलहाल रिक्त हैं, जिन पर जल्द ही उपचुनाव हो सकते हैं। इन खाली पड़ी सीटों के उपचुनाव राजनीतिक दृष्टि से कई पार्टियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। खासकर उन राज्यों में, जहां छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्रों में राजनीतिक संतुलन बनाए रखना पार्टी की प्राथमिकता हो सकती है।
एक ऐसे समय में जब चुनावी माहौल गरमा रहा है, प्रत्येक पार्टी अपनी तैयारी में जुट गई है। महाराष्ट्र और झारखंड जैसे बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव आने वाले समय में भारत की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलावों को जन्म दे सकते हैं।