केरल में निपाह वायरस का कहर
केरल के मलप्पुरम जिले के चेम्ब्रैसरी गांव के एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस संक्रमण के कारण रविवार को मौत हो गई। यह घटना केरल के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई, जहां लड़के को गंभीर हालत में भर्ती किया गया था। यह केरल में 2018 के बाद से निपाह वायरस का पांचवां प्रकोप है।
जानकारी के अनुसार, एक 68 वर्षीय व्यक्ति भी निपाह वायरस के लक्षणों के साथ कोझीकोड मेडिकल कॉलेज में भर्ती है और उसकी हालत भी गंभीर बनी हुई है। निपाह एक ज़ूनोटिक बीमारी है जो संक्रमित जानवरों जैसे चमगादड़ों और सुअरों के संपर्क से फैलती है, इसके अलावा, सीधे संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से भी फैल सकती है।
केरल पहले भी 2018, 2019, 2021 और 2023 में निपाह वायरस का सामना कर चुका है, जिसके कारण कई लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार ने इस बार भी सावधानी बरतते हुए सभी आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामले
दूसरी ओर, महाराष्ट्र के पुणे जिले में 2024 में जीका वायरस के 28 मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने रोग की रोकथाम के लिए जागरूकता प्रयासों के साथ-साथ निगरानी केंद्रों की स्थापना की है। ये केंद्र रक्त नमूने एकत्र कर त्वरित पहचान के लिए टेस्टिंग कर रहे हैं।
विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं का खून का परीक्षण किया जा रहा है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जीका संक्रमण से माइक्रोसेफैली और अन्य जन्मजात विकृतियों का खतरा होता है। इसके चलते राज्य सरकार ने कीटनाशकों, मच्छर भगाने वाली चीजों और जालीदार खिड़कियों के उपयोग की सलाह दी है ताकि मच्छर के काटने से बचा जा सके जो कि जीका वायरस फैलाने का मुख्य कारण है।
प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को रक्त नमूने भेजें। हालांकि ज्यादातर जीका वायरस संक्रमण के मामले गंभीर नहीं होते और शायद ही कभी जानलेवा साबित होते हैं, लेकिन सरकार इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है और हर संभव उपाय कर रही है।
निपाह और जीका वायरस की रोकथाम के उपाय
निपाह और जीका वायरस की रोकथाम के लिए व्यापक उपाय किए जा रहे हैं। केरल और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों ने जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है।
निपाह वायरस की रोकथाम के लिए अधिकारियों ने संक्रमित क्षेत्रों में लोगों को सतर्क किया है और संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। राज्यभर में स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार किया जा रहा है और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
जीका वायरस के मामलों में, सरकार ने विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देशित किया गया है कि वे हर संदिग्ध मामले की जांच करें और तुरंत कार्रवाई करें।
इसके अलावा, जनता को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने आसपास के मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें। मदरेंस कठोरता से कीटनाशक उपयोग और साफ-सफाई पर धयान दे रही हैं ताकि मच्छरों का प्रजनन करना कठिन हो।
सरकार की सुरक्षा और जागरूकता पहल
सरकार इन महामारियों को रोकने के लिए सुरक्षा कदम उठा रही है और हर संभव प्रयास कर रही है ताकि लोगों के बीच जागरुकता फैलाई जा सके। निपाह और जीका दोनों महामारियों में सही समय पर चिकित्सीय सलाह और आवश्यक उपाय ही मुख्य बचाव हैं।
अहम बात यह है कि कोई भी व्यक्ति जो निपाह या जीका से सम्बंधित लक्षण महसूस करता है, उसे तुरंत चिकित्सीय सहायता प्राप्त करनी चाहिए। इसके अलावा, लोगों को स्वच्छता और व्यक्तिगत हाइजीन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
निपाह और जीका वायरस की रोकथाम और नियंत्रण सरकार की प्राथमिकता में शामिल है और इसके लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्कता बरत रहा है।