ट्रंप टैरिफ: क्या हुआ और आपका बिज़नेस क्यों ध्यान दे?

2018 में अमेरिका ने सुरक्षा के आधार पर स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% टैरिफ लगाया—ये कदम ट्रेड पॉलिसी बदलने वाले थे। उसी दौर में चीन पर सेक्शन 301 के तहत कई राउंड टैरिफ आए। सीधे शब्दों में: कुछ सामान सस्ता नहीं रहा, सप्लाई चेन बदली और कंपनियों को खरीद-नीति बदलनी पड़ी।

अगर आप एमएसएमई, एक्सपोर्टर, इम्पोर्टर या सप्लायर हैं तो यह टैग पेज आपको तेज और प्रैक्टिकल जानकारी देगा—किस चीज़ पर टैरिफ लगे, उसके असर कैसे नापें और अब क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

किसे प्रभावित करता है? (स्पष्ट उदाहरण)

स्टील और एल्युमिनियम मिलों, ऑटो पार्ट्स, मशीनरी, कंस्ट्रक्शन मटीरियल और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स पर सीधे असर पड़ा। उदाहरण के लिए, अगर आप भारत से स्टील उत्पाद अमेरिका भेजते हैं तो 25% अतिरिक्त लागत के कारण प्राइस कॉम्पेटिटिव नहीं रह सकता। चीन पर लगाए गए टैरिफ ने कई कंपनियों को सप्लाय चेन भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर मोड़ने पर मजबूर किया।

उपभोक्ता स्तर पर भी सामान महंगा हुआ—क्योंकि इम्पोर्ट कॉस्ट बढ़ी और घरेलू कंपनियाँ कीमत बढ़ा कर या सप्लाय बदल कर लागत संभालती हैं।

अब आप क्या कर सकते हैं? (प्रैक्टिकल कदम)

1) HS कोड और USTR नोटिस चेक करें: अपने उत्पाद के HS टैरिफ कोड जानें और USTR/USITC की वेबसाइट पर नवीनतम सूचनाएँ देखें। इससे पता चलेगा आपका आइटम किस लिस्ट में है।

2) कीमतों को री-कैल्कुलेट करें: 25% या 10% इम्पैक्ट जोड़ कर नए मार्जिन और ब्रेक-ईवन निकालें। ग्राहकों से नई कीमत पर बातचीत करने के लिए तैयार रहें।

3) सप्लाई डाइवर्सिफिकेशन: चीन या अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक सप्लायर देखें—भारत के भीतर या आस-पास के देश जैसे वियतनाम, थाईलैंड।

4) कस्टम्स और ट्रेड रेमेडीज़: डीटीसी, ड्यूटी ड्रॉबैक, सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन जैसे विकल्पों का लाभ लें। जरुरत पड़ने पर कस्टम्स ब्रोकर्स और ट्रेड लॉयर से सलाह लें।

5) कॉन्ट्रैक्ट री-नेगोशिएशन: लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट में टैरिफ क्लॉज़ जोड़ें ताकि मूल्य-स्पाइक्स का जोखिम साझा हो।

6) मार्केट शिफ्ट: अगर मौजूदा अमेरिका मार्केट अब अनफेवरेबल है, तो यूरोप, मिडिल-ईस्ट या अफ्रीका में नई डील देखिए—कभी-कभी छोटा बाजार बेहतर मार्जिन दे देता है।

बुनियादी बात: टैरिफ से बचना आसान नहीं, पर जानकारी और तेज फैसले आपकी लागत कम और अवसर बढ़ा सकते हैं। हर कदम से पहले HS कोड, कस्टम नियम और यूएस ट्रेड नोटिस देखें। याद रखिए—छोटी-छोटी सटीक तैयारी बड़े नुकसान रोक सकती है।