जापान का निक्की क्रैश: ट्रंप की टैरिफ धमकियों से शेयर बाजार में हाहाकार

जापान का निक्की क्रैश: ट्रंप की टैरिफ धमकियों से शेयर बाजार में हाहाकार

मानसी विपरीत 17 जून 2025

निक्केई 225 में ऐतिहासिक गिरावट: ट्रंप के टैरिफ का सीधा असर

शेयर बाजारों की दुनिया में जो हाहाकार अप्रैल 2025 में दिखा, वैसा नजारा जापान के निवेशकों ने सालों से नहीं देखा था। अप्रैल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक कई देशों—चीन, कनाडा और मेक्सिको समेत—ट्रेड सेक्टर्स पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की। इस खबर के फैला मात्र से ही विश्व बाजार में बेचैनी दौड़ गई।

पैनिक सेलिंग इतनी तेज़ रही कि निक्केई क्रैश शब्द जापान की सुर्खियों का हिस्सा बन गया। 7 अप्रैल 2025 को तो मानो बवंडर आ गया—निक्केई 225 इंडेक्स 2,644 अंक लुढ़क गया, यानी करीब 7.82% की गिरावट। दर्जनों बार ट्रेडिंग रोकनी पड़ी क्योंकि सर्किट ब्रेकर बार-बार ट्रिगर हो गए। यह गिरावट अक्टूबर 2023 के बाद सबसे निचला स्तर थी, जब इंडेक्स 31,136.58 पर बंद हुआ। इससे पहले भी 31 मार्च को इंडेक्स ने 4% की गिरावट झेली थी और निवेशक पहले से ही सहमे बैठे थे।

निर्यात पर टैरिफ का दबाव और निवेशकों की प्रतिक्रिया

निर्यात पर टैरिफ का दबाव और निवेशकों की प्रतिक्रिया

जापान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा निर्यात पर टिका है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा बाजार है। ट्रंप के नए टैरिफ से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी सेक्टर की कंपनियां सीधे प्रभावित हुईं। मई 2025 में अमेरिका को जापान के निर्यात में 1.8% की गिरावट दर्ज की गई—ये आंकड़ा सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि लाखों लोगों की नौकरियों और कंपनियों के मुनाफे पर असर डालता है।

इसी डर से निवेशक दूसरी सुरक्षात्मक जगहों पर पैसे लगाने लगे। येन की कीमत डॉलर के मुकाबले 149.13-15 तक मजबूत हो गई, क्योंकि हर कोई 'सेफ हेवन' ढूंढ़ने लगा। विदेशी निवेशक भी अपने पैसे निकालने लगे तो लिक्विडिटी का संकट और गहरा गया।

हालांकि 9 अप्रैल को टैरिफ बढ़ोतरी पर अस्थाई रोक लगने की खबर आई, जिससे बाजार में थोड़ा सुकून दिखा। लेकिन शेयर बाजार का मिजाज स्थायी रूप से नहीं बदला, क्योंकि अधिकांश विशेषज्ञों ने चेताया कि ट्रंप प्रशासन के रुख में अचानक बदलाव या नई ट्रेड वार की चिंता हमेशा बनी रहेगी।

  • मार्च-अप्रैल में निक्केई ने 3,800 से ज्यादा अंक गंवाए
  • ऑटो कंपनियों और टेक्नोलॉजी सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट आई
  • निवेशकों ने सबसे पहले बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों से पैसा निकाला
  • ब्रोकरेज हाउसों ने रिटेल निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी

एमेरिका का S&P 500 इंडेक्स मई के मध्य तक धीरे-धीरे रिकवर हुआ, जब टैरिफ में आंशिक छूट और कुछ समझौते सामने आए। लेकिन जापान में बाजार की सेहत को लेकर समय-समय पर नए सवाल उठने लगे हैं। कौन सी नीति कब बदल जाए, इसका डर निवेशकों के सिर पर मंडराता रहता है। और शायद इसी वजह से वित्तीय बाजारों में स्थिरता की तलाश अभी बाकी है।

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