प्री‑लिम्स शब्द अक्सर सुनते हैं, पर इसका असली मतलब क्या है? जब हम बात प्री‑लिम्स, अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की शुरुआती चरण की प्रतियोगिता की करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि ये वह मंच है जहाँ टीमों को बड़े इवेंट के लिए अपनी जगह जीतनी होती है। इस चरण में क्रिकेट, भारत में लोकप्रिय गेंदबाज़ी‑बैटिंग वाला खेल सबसे अधिक दिखता है, खासकर जब एशिया कप या ICC के बड़े टूर्नामेंट की क्वालिफ़ाइंग की बात होती है।
प्री‑लिम्स का मुख्य उद्देश्य दो‑तीन चीज़ें पूरा करना है: पहली, टीमों को मैच फॉर्म दिखाने का मौका देना; दूसरी, शेड्यूल में खामियों को ठीक करना; और तीसरी, दर्शकों को शुरुआती रोमांच प्रदान करना। यही कारण है कि एशिया कप के प्री‑लिम्स में अक्सर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसी टॉप टीमें आपस में टकराती हैं, जिससे मैचों में सस्पेंस बना रहता है। इन प्रतियोगिताओं में मौसम का असर भी बड़ा होता है – जैसे उत्तर प्रदेश में तीव्र बारिश या दुबई की तेज़ हवा, दोनों ही खेल की दिशा बदल सकते हैं।
इसी तरह, ICC, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल प्री‑लिम्स के नियम बनाती है, जिससे सभी टीमों को समान अवसर मिलते हैं। ICC का निर्धारण कि कौन‑से मैच टाई‑ब्रेक के लिये महत्वपूर्ण हैं, यह सीधे टीमों की रणनीति को प्रभावित करता है। कई बार गेंदबाज़ी की चमक या बैटिंग की स्थिरता प्री‑लिम्स में ही देखी जा सकती है, जो आगे के मुख्य टूर्नामेंट में जीत-हार तय करती है।
नीचे की सूची में आप देखेंगे कि कैसे ऑस्ट्रेलिया महिला टीम ने दुबई में पाकिस्तान को हराया, शमी का एशिया कप चयन विवाद, और भारत‑पाकिस्तान के विरोधी मैचों में कबड्डी, बेसबॉल या फुटबॉल की तरह देशीय रीति‑रिवाज़ के असर की चर्चा हुई। साथ ही मौसम चेतावनी, टॉर्नामेंट के आर्थिक पहलू और खिलाड़ियों के व्यक्तिगत फॉर्म की गहरी विश्लेषण मिलेंगे। ये सभी लेख प्री‑लिम्स के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं, ताकि आप पूरी तस्वीर समझ सकें और अगली बड़ी खेल घटना का इंतजार कर सकें।