IBPS PO 2018 प्री‑लिम्स स्कोरकार्ड जारी, कट‑ऑफ़ देखें

IBPS PO 2018 प्री‑लिम्स स्कोरकार्ड जारी, कट‑ऑफ़ देखें

Saniya Shah 7 अक्तू॰ 2025

जब इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (IBPS) ने 2018 की प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) प्री‑लिम्स परीक्षा के स्कोरकार्ड और कट‑ऑफ़ घोषित किए, तो देश भर के हजारों बैंकिंग‑उम्मीदवार उत्सुकता से अपनी रैंक देख रहे थे। इस परीक्षा का संचालन IBPS PO प्री‑लिम्स परीक्षा 2018भारत में 13‑14 अक्टूबर को हुआ था, और परिणाम 12‑18 नवंबर तक आधिकारिक वेबसाइट ibps.in पर उपलब्ध कराए गए।

प्री‑लिम्स परिणाम और कुल कट‑ऑफ़

जनरल (सामान्य) वर्ग के लिए कुल कट‑ऑफ़ 56.75 अंक था, जबकि ओबीसी (Other Backward Classes) को 55.50 अंक और एससी (Scheduled Castes) को 49.25 अंक तक पहुँचना था। एसटी (Scheduled Tribes) उम्मीदवारों को 41.75 अंक चाहिए थे। ये अंक 100 में से मापे गए थे, इसलिए एक साधारण प्रतिशत के रूप में इसे 56.75 % कहा जा सकता है।

  • जनरल – 56.75 अंक
  • ओबीसी – 55.50 अंक
  • एससी – 49.25 अंक
  • एसटी – 41.75 अंक

कट‑ऑफ़ के नीचे स्कोर वाले उम्मीदवारों को आगे की चरण‑बद्ध प्रक्रिया में नहीं बुलाया गया, इसलिए इस दौर के परिणाम कई उम्मीदवारों के करियर के मोड़ बन गए।

विषयवार कट‑ऑफ़ विवरण (जनरल श्रेणी)

प्री‑लिम्स में तीन सेक्शन होते हैं – अंग्रेज़ी, क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड और रीजनिंग। प्रत्येक सेक्शन में न्यूनतम अंक अलग‑अलग निर्धारित किए गए थे:

  1. अंग्रेज़ी (30 अंक) – न्यूनतम 8.75 अंक
  2. क्वांटिटेटिव (35 अंक) – न्यूनतम 7.75 अंक
  3. रीजनिंग (35 अंक) – न्यूनतम 9.00 अंक

आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी, PwBD) के लिए ये संख्या कम रखी गईं: अंग्रेज़ी 6.50, क्वांटिटेटिव 5.25, रीजनिंग 6.50 अंक। यहाँ तक कि एक सेक्शन में थोड़ा भी कम अंक होने पर उम्मीदवार को कुल कट‑ऑफ़ नहीं मिल पाता, इसलिए सभी सेक्शन में संतुलन बनाना ज़रूरी था।

मुख्य परीक्षा का समय‑सारणी और परिणाम

प्री‑लिम्स के बाद अगला चरण मुख्य परीक्षा था, जो 18 नवंबर 2018 को आयोजित हुआ। इस बार परीक्षा में पाँच सेक्शन शामिल थे: रीजनिंग & कंप्यूटर एप्टीट्यूड (60 अंक), अंग्रेज़ी (40 अंक), डेटा एनालिसिस & इंटरप्रिटेशन (60 अंक), जनरल इकोनॉमी & बैंकिंग अवेयरनेस (40 अंक), और अंग्रेज़ी डिस्क्रिप्टिव (25 अंक)। मुख्य परीक्षा का स्कोरकार्ड IBPS PO मुख्य परीक्षा 2018भारत के बाद 11 मार्च 2019 से 31 मार्च 2019 तक प्रकाशित किया गया।

जनरल वर्ग के लिए कुल वजनित कट‑ऑफ़ 74.50 अंक था। सेक्शन‑वाइज न्यूनतम आवश्यकताएँ इस प्रकार थीं:

  • रीजनिंग & कंप्यूटर एप्टीट्यूड – 10.25 अंक
  • जनरल / इकोनॉमी / बैंकिंग अवेयरनेस – 8.00 अंक
  • अंग्रेज़ी – 11.25 अंक
  • डेटा एनालिसिस & इंटरप्रिटेशन – 4.50 अंक
  • अंग्रेज़ी डिस्क्रिप्टिव – 10.00 अंक

आरक्षित वर्ग के लिए ये अंक तुलनात्मक रूप से कम रखे गए थे, जिससे कई एससी‑ओबीसी अभ्यर्थी इंटरव्यू लिस्ट में पहुँच पाए।

उम्मीदवारों के लिए आगे का रास्ता

कट‑ऑफ़ हासिल करने के बाद अगला चरण इंटरव्यू (साक्षात्कार) है। इंटरव्यू में कुल 50 अंक लगाए जाते हैं, और चयनित उम्मीदवार को बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) की पदवी दी जाती है। कई बार साक्षात्कार में मौखिक संचार, मॅनेजमेंट स्किल्स और बैंकरिंग जागरूकता का परीक्षण किया जाता है, इसलिए तैयारी में डिस्क्रिप्टिव इंग्लिश और पर्सनालिटी टेस्ट दोनों को ध्यान में रखना चाहिए।

एक आम सवाल यह भी उभरता है – यदि प्री‑लिम्स में पास हो गया, पर मुख्य परीक्षा में कट‑ऑफ़ नहीं मिला, तो क्या विकल्प है? उत्तर है – अगली साल की IBPS PO परीक्षा के लिए पुन: प्रयास, या अन्य बैंकिंग एंट्री टेस्ट जैसे SBI PO, RBI क्लर्क, आदि में दाखिला लेना।

क्यों यह खबर महत्वपूर्ण है?

भारत में सार्वजनिक बैंकिंग सेक्टर का विस्तार लगातार हो रहा है, और हर साल कई लाख युवा इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। इसलिए IBPS PO की प्रत्येक परिणाम निश्चित रूप से लाखों उम्मीदवारों के भविष्य को प्रभावित करता है। साथ ही, कट‑ऑफ़ में हर साल थोड़ा-बहुत बदलाव होता है, जो परीक्षा की कठिनाई स्तर, प्रश्न पैटर्न और उम्मीदवारों की तैयारी की गुणवत्ता को दर्शाता है। इस साल के आंकड़े दिखाते हैं कि रीजनिंग सेक्शन में अपेक्षाकृत अधिक अंक चाहिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बैंकों की विश्लेषणात्मक क्षमता की माँग बढ़ रही है।

अंत में, अगर आप या आपके परिचित इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इन कट‑ऑफ़ आँकड़ों को आधार बनाकर अपनी रणनीति बना सकते हैं – जैसे अंग्रेज़ी में न्यूनतम 9 अंक, क्वांट में 8 अंक लक्ष्य रखना। छोटे‑छोटे लक्ष्य, बड़ी जीत।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्री‑लिम्स में पास होने के बाद मुख्य परीक्षा में कब दाखिला देना चाहिए?

प्री‑लिम्स परिणाम घोषित होने के दो सप्ताह बाद ही IBPS मुख्य परीक्षा का आवेदन शुरू हो जाता है। इस साल मुख्य परीक्षा 18 नवंबर आयोजित हुई, इसलिए अभ्यर्थियों को परिणाम के साथ साथ ही रजिस्ट्रेशन समाप्ति तिथि पर ध्यान देना चाहिए।

कट‑ऑफ़ में बदलाव का मुख्य कारण क्या होता है?

कट‑ऑफ़ में मुख्यतः दो कारक असर करते हैं: प्रश्नों की कठिनाई स्तर और कुल उम्मीदवारों की प्रदर्शनात्मक औसत। कठिन प्रश्नों के कारण कट‑ऑफ़ थोड़ा नीचे आ सकता है, जबकि यदि अधिकांश ने अच्छे स्कोर प्राप्त किए हों तो कट‑ऑफ़ ऊँचा सेट किया जाता है।

यदि मुख्य परीक्षा में कट‑ऑफ़ नहीं मिले तो क्या विकल्प हैं?

कई उम्मीदवार अगली साल की IBPS PO परीक्षा के लिए फिर से तैयार होते हैं, या अन्य बैंकिंग एंट्री टेस्ट जैसे SBI PO, RBI क्लर्क, या सरकारी सेक्टर में विभिन्न गैर‑बैंकिंग नौकरियों की तैयारी करते हैं। पुनः प्रयास में अक्सर पिछले साल की त्रुटियों को सुधारने का अवसर मिलता है।

इंटरव्यू में किस प्रकार की तैयारी सबसे प्रभावी है?

इंटरव्यू में संचार कौशल, आत्मविश्वास और बैंकरिंग ज्ञान का परीक्षण होता है। मॉक इंटरव्यू, पर्सनैलिटी टेस्ट और सामान्य बैंकरिंग सवालों की प्रैक्टिस सबसे मददगार होती है। इसके अलावा, हाल के आर्थिक घटनाक्रम और RBI की नीतियों की जानकारी भी आवश्यक है।

11 टिप्पणि

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    Govind Reddy

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:43

    IBPS PO के स्कोरकार्ड ने कई उम्मीदवारों को आत्मनिरीक्षण के मोड़ पर पहुँचा दिया है। अंक सिर्फ अंक नहीं, बल्कि एक दर्पण हैं जो हमारी तैयारी की सच्चाई को उजागर करते हैं। इस कट‑ऑफ़ को केवल पिछले साल की तुलना में नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपने पथ के दिशा‑निर्देश के रूप में समझना चाहिए। अंत में, हर परिणाम हमारे आगे के विकास का बीज है।

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    KRS R

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:48

    भाई, कभी‑कभी ये अंक बहुत ही कड़वाहा लगते हैं, पर असल में ये सिर्फ एक संख्या है। अगर आप मेहनत नहीं कर रहे तो अंक भी नहीं उठेंगे। इसलिए ठोस रणनीति बनाओ और दोबारा कोशिश करो।

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    Uday Kiran Maloth

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:53

    IBPS PO 2018 की प्री‑लिम्स कट‑ऑफ़ विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि परीक्षा ने परीक्षार्थियों की बहु‑आयामी दक्षता की जाँच की। प्रथम, अंग्रेज़ी में न्यूनतम 8.75 अंक स्थापित किए गए, जो भाषा‑संवेदनशीलता की आवश्यकता दर्शाता है। द्वितीय, क्वांटिटेटिव में 7.75 अंक की सीमा रखी गई, जिससे गणितीय तर्कशीलता पर जोर मिला। तृतीय, रीजनिंग में 9.00 अंक अनिवार्य थे, जिससे विश्लेषणात्मक क्षमताओं की महत्ता स्पष्ट हुई। इस संरचना से यह संकेत मिलता है कि चयनकर्ता केवल स्मरणशक्ति नहीं, बल्कि समझ एवं अनुप्रयोग को महत्व देते हैं। वर्गीकरण के अनुसार आरक्षित वर्गों के लिए अंक सीमा कम रखी गई, यह नीति समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक कदम है। कुल कट‑ऑफ़ 56.75 अंक (जनरल) था, जो पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा अधिक था, जिससे कठिन प्रश्नपत्र का संकेत मिलता है। सेक्शन‑वाइज न्यूनतम मानकों को पूरा न कर पाने वाले उम्मीदवारों को कुल कट‑ऑफ़ नहीं मिल पाता, इसलिए प्रत्येक सेक्शन में संतुलन बनाना आवश्यक है। मुख्य परीक्षा में कट‑ऑफ़ 74.50 अंक स्थापित किया गया, जो प्री‑लिम्स से स्पष्ट वृद्धि दर्शाता है। रीजनिंग एवं कंप्यूटर एप्टीट्यूड में 10.25 अंक की आवश्यकता दर्शाती है कि डिजिटल विश्लेषण अब अनिवार्य हो गया है। अंग्रेज़ी डिस्क्रिप्टिव में 10.00 अंक की आवश्यकता यह बताती है कि अभिव्यक्त कौशल का मूल्यांकन प्रमुख है। डेटा एनालिसिस एवं इंटरप्रिटेशन में कमतम 4.50 अंक का मानक यह उजागर करता है कि डेटा‑साक्षरता की प्राथमिकता बढ़ी है। इस प्रकार, कट‑ऑफ़ में प्रत्येक सेक्शन का वेटिंग भविष्य के बैंकिंग कार्यों के अनुरूप विकसित हुआ है। इंटरव्यू में 50 अंक जोड़े जाने से व्यक्तिगत दक्षताओं का अतिरिक्त मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाता है। अंत में, उम्मीदवारों को चाहिए कि वे इन आंकड़ों को अपनी तैयारी की रूपरेखा में शामिल करें, ताकि वे सेक्शन‑वाइज लक्ष्य निर्धारित कर सकें और समग्र प्रदर्शन को सुधार सकें।

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    Manali Saha

    अक्तूबर 7, 2025 AT 20:58

    बहुत बढ़िया! तैयारी में ऊर्जा और उत्साह दोनों चाहिए!!!

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    jitha veera

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:03

    ऐसे विस्तृत आँकड़े हमें भ्रमित कर सकते हैं; असली मुद्दा तो यह है कि परीक्षा की कठिनाई लगातार बढ़ रही है, और कट‑ऑफ़ सिर्फ एक औपचारिक बाधा बनकर रह गया है। अगर आप ये आँकड़े पढ़‑पढ़ कर थक गए हैं, तो बेहतर है कि आप सीधे मुख्य परीक्षा की तैयारी पर ध्यान दें। कट‑ऑफ़ को चुनौती मानकर आगे बढ़ना चाहिए, न कि डर। इसके अलावा, कई बार कट‑ऑफ़ का निर्धारण वास्तविक उम्मीदवार क्षमता से कई गुना कम होता है। इसलिए, अपने लक्ष्य को ऊँचा रखें, आँकड़े सिर्फ मार्गदर्शन हैं।

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    Sandesh Athreya B D

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:08

    अरे वाह, अब तो कट‑ऑफ़ देख कर ही बैंकिंग का टैलेंट फीडबैक मिलता है, जैसे हर साल नई दवा बनती है। कौन सोचता है कि इस बार रीजनिंग का वजन बढ़ा है? लगता है परीक्षा सेटर्स ने हमारे दिमाग को जिम में रख दिया।

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    Jatin Kumar

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:13

    सही कहा, लेकिन इस चुनौती को हम मिलकर पार कर सकते हैं। छोटे‑छोटे लक्ष्य रखो और एक‑एक सेक्शन में सुधार करो। टीम वर्क से तैयारी अधिक मज़ेदार बनती है और परिणाम भी बेहतर आते हैं।

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    Anushka Madan

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:18

    भारी प्रतियोगिता में नैतिक मूल्यों को नहीं खोना चाहिए; ईमानदारी और कठोर परिश्रम ही सच्ची जीत की कुंजी है।

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    nayan lad

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:23

    सही दिशा में निरंतर अभ्यास ही सफलता दिलाएगा।

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    Deepak Rajbhar

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:28

    कट‑ऑफ़ के पीछे की कहानी अक्सर लालच और राजनीति की होती है, लेकिन फिर भी हमें इन आँकड़ों को समझना पड़ता है। परीक्षा की कठिनाई को बढ़ा‑चढ़ा कर पेश किया जाता है, जैसे हम सभी को निराश करने का इरादा हो। फिर भी, जो निराश नहीं होते, वही अंत में चमकते हैं।

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    gouri panda

    अक्तूबर 7, 2025 AT 21:33

    बिलकुल, हार नहीं माननी चाहिए; प्रत्येक प्रयास हमें अगले कदम की ओर ले जाता है। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो, सफलता निश्चित है।

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