कभी ऐसा मैसेज मिला जो सीधे आपको, आपके समुदाय या आपकी पहचान पर हमला करता हो? ये नफरत भरे संदेश सिर्फ शब्द नहीं होते—ये आपकी मानसिक शांति और सुरक्षा पर असर डालते हैं। इस पेज पर आपको व्यवहारिक कदम मिलेंगे ताकि आप तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें, सबूत बचा सकें और आगे की कार्रवाई कर सकें।
पहला नियम: भावनाओं में तुरंत जवाब न दें। जवाब देने से बात बढ़ सकती है और ट्रोलिंग या दुर्व्यवहार का दायरा फैलता है। ठंडे दिमाग से इन सरल स्टेप्स को फॉलो करें।
1) स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग लें: संदेश, भेजने वाले का प्रोफ़ाइल, समय और संदर्भ हर चीज़ का प्रमाण रखें। ये पुलिस और प्लेटफ़ॉर्म को रिपोर्ट करने में काम आएगा।
2) ब्लॉक और अनफॉलो करें: तुरंत भेजने वाले को ब्लॉक कर दें ताकि आगे का संपर्क बंद हो जाए।
3) रिपोर्ट करें प्लेटफ़ॉर्म पर: फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर/X, व्हाट्सऐप जैसी साइट्स पर हर संदेश की रिपोर्टिंग की सुविधा होती है। प्लेटफ़ॉर्म को रिपोर्ट करने से पोस्ट हट सकती है और भेजने वाले के खिलाफ एक्शन हो सकता है।
4) न दिखावे के लिए सुरक्षित करें: अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स चेक करें—किसे मैसेज कर सकता है, कौन आपकी पोस्ट देख सकता है ये सीमित करें।
अगर संदेश धमकी, हिंसा की बात या साम्प्रदायिक द्वेष फैलाते हैं तो स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें। भारत में ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है और आवश्यक होने पर जांच शुरू होती है। रिपोर्ट करते समय अपने पास मौजूद सभी सबूत दें—स्क्रीनशॉट्स, चैट रिकॉर्ड और कोई संदिग्ध लिंक।
कुछ टेक्निकल बातें जो तुरंत मदद करेंगी: अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, अटैचमेंट डाउनलोड न करें और अनचाहे फ़ाइलों को स्कैन कर के ही खोलें। अगर आपको लगे कि आपका अकाउंट कॉम्प्रोमाइज़ हुआ है तो पासवर्ड बदलें और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें।
मानसिक असर को हल्के में न लें। अगर नफरत भरे संदेश आपको डर, चिंता या नींद के दिक्कत दे रहे हैं तो दोस्तों, परिवार या काउंसलर से बात करें। कई संस्थाएं और हेल्पलाइन ऐसी स्थितियों में मुफ्त सपोर्ट देती हैं।
यह टैग पेज उन लेखों और अपडेट्स का संग्रह है जो नफरत, साइबर दुर्व्यवहार और रिपोर्टिंग से जुड़े हैं। यहां के लेख आपको बताएंगे कि कैसे शिकायत लिखें, प्लेटफ़ॉर्म की नीतियाँ क्या हैं और किन कानूनों का सहारा लिया जा सकता है।
याद रखें—खुद को सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं। सही कदम उठाकर आप नफरत फैलाने वालों का असर कम कर सकते हैं और दूसरों को भी ऐसे व्यवहार से बचाने में मदद कर सकते हैं। अगर आपको लगे कि मामला गंभीर है, तो देरी न करें और स्थानीय साइबर सेल या पुलिस तक पहुँचें।