जब मानसून, जुलाई‑सितंबर में भारत में आने वाली प्रमुख मौसमी बारिश है की बात आती है, तो सबसे पहले बारिश, बादलों से गिरने वाला जल मानक है याद आती है। मानसून न सिर्फ फसल कटाई की योजना बनाता है, बल्कि बाढ़, अधिक बारिश से उत्पन्न जलसंकट और कृषि, खेतों में फसल उगाने की गतिविधि दोनों को भी आकार देता है। इस मौसम का समय‑सापेक्ष पैटर्न जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसमी पैटर्न में बदलाव से गहराई से जुड़ा है। सरल शब्दों में, मानसून पैदावार को तय करता है, बारिश उसकी मुख्य शक्ति है, बाढ़ उसका नकारात्मक परिणाम, कृषि उसका मुख्य लाभार्थी और जलवायु परिवर्तन उसका भविष्य तय करता है। ये पाँच तत्व एक-दूसरे को प्रभावित करते हुए भारत के मौसम, अर्थव्यवस्था और सामाजिक चाल को नियंत्रित करते हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में गजब की बारीकी से मानसून की हर बारी दिखी। दुबई में ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट टीम ने 9 विकेट से पाकिस्तान को हराया, जबकि वही समय भारत में कई शहरों में तेज़ बारिश के कारण सड़कों पर जलभराव हुआ। डarjeeling में 300 mm से अधिक बारिश के बाद 35 जगह पर भूस्लाइड हुए, 23 मौतें हुईं और राहत कार्य तुरंत शुरू किया गया। इसी तरह, दिल्ली पुलिस ने एक संभावित हमला रद्द कर दिया क्योंकि बारिश ने वाहनों को फँसा दिया था। इन घटनाओं में एक सामान्य धागा है: भारी बारिश (बारिश) ने बाढ़ (बाढ़) की स्थितियां पैदा की, जिससे कृषि क्षेत्रों को नुकसान हुआ और जीवन को खतरा पैदा हुआ। जब बाढ़ की बात आती है, तो किसान अक्सर फसल नुकसान की रिपोर्ट करते हैं, जिसका सीधा असर उनके आय पर पड़ता है। दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में देर रात की बौछार ने जलसिंचाई के लिए जरूरी जल का भंडारण बढ़ाया, जिससे अगली फसल का उत्पादन बेहतर हो सकता है। इन सभी समाचारों ने दिखाया कि मानसून केवल मौसम नहीं, बल्कि सामाजिक‑आर्थिक जीवन का एक मूलभूत भाग है।
अगर आप इस पेज पर नीचे देखेंगे तो आपको कई लेख मिलेंगे जो विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं – बाढ़ प्रबंधन से लेकर फसल बाली तक, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से लेकर स्थानीय प्रशासन की तैयारी तक। प्रत्येक लेख में हम सिर्फ रिपोर्ट नहीं दे रहे, बल्कि actionable टिप्स भी दे रहे हैं, जैसे कि बाढ़‑सुरक्षित घर कैसे बनाएं, या बारिश के साथ खेती के लिए कौन सी फसलें बेहतर रहेंगी। इस संग्रह का मकसद है कि आप मानसून के आते ही तैयार रहें, चाहे आप किसान हों, घर का मालिक हों, या सिर्फ मौसम प्रेमी हों। अब इस ज्ञान को अपनाकर आप अपने क्षेत्र में आने वाले बदलावों को बेहतर समझ सकते हैं और आवश्यक कदम उठा सकते हैं.