मानसून ने फिर पकड़ी रफ्तार: उत्तर प्रदेश में 4‑7 अक्टूबर तक भारी बारिश‑बिजली‑तूफ़ान अलर्ट

मानसून ने फिर पकड़ी रफ्तार: उत्तर प्रदेश में 4‑7 अक्टूबर तक भारी बारिश‑बिजली‑तूफ़ान अलर्ट

Saniya Shah 6 अक्तू॰ 2025

जब उत्तर प्रदेश में आज‑कल मौसम अचानक बदल रहा है, तो सभी की नज़रें भारत मौसम विज्ञान विभाग पर टिका रहती हैं। विभाग ने 4 से 7 अक्टूबर, 2025 के दौरान राज्य के कई जिलों में मानसून की तीव्रता बढ़ने की चेतावनी जारी की है, जिसमें भारी बारिश, तेज़ हवा, बिजली‑तूफान और कुछ क्षेत्रों में ओरेंज अलर्ट शामिल है। इस खबर का असर किसानों, यात्रियों और दैनिक कामकाजी वर्ग पर सीधा है, क्योंकि अचानक आए बवंडर ने तापमान को 2‑3°C तक गिरा दिया और कई जगहों में जलभराव की स्थिति बना दी।

मॉनसन की वर्तमान स्थिति

पिछली रात, वाराणसी के आस‑पास के क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई, परन्तु बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की – यह आंकड़ा पिछले दो हफ्तों की औसत से दो गुना अधिक है। इस अत्यधिक वर्षा को वैज्ञानिक ‘पश्चिमी व्यवधान’ (Western Disturbance) का कारण मान रहे हैं, जो अक्सर उत्तर भारत में पतझड़ में ठंडी हवाओं और ओले‑बूँदों को लाता है। प्रदेश के पूर्वी हिस्से में 3‑4 अक्टूबर को ‘ओरेंज अलर्ट’ जारी किया गया, जबकि पश्चिमी भाग में 6‑7 अक्टूबर को ‘ऑरेंज अलर्ट’ की संभावना है।

प्रमुख जिलों में बारिश का विवरण

वेस्टर्न डिस्ट्रीक्ट्स जैसे मोरादाबाद, अंमरोहा, सभल, रौनका, बीरनौर, मेरठ, सहारनपुर, बागपत, गाज़ियाबाद और नोएडा में तीव्र वर्षा की भविष्यवाणी की गई है। मौसम विज्ञानों का कहना है कि 6‑7 अक्टूबर तक इन जिलों में 70‑120 मिलीमीटर की बारिश हो सकती है, साथ ही 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं के झोंके भी महसूस किए जा सकते हैं।
पूर्वी यूपी में बॉलिया, देवरिया और कुशीनगर को अत्यधिक (एक्सट्रीमली हेवी) वर्षा हेतु अलर्ट मिला है। घज़ीपुर, आज़मगढ़, मुआ, गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थनगर में भी भारी‑से‑बहुत‑भारी बारिश की संभावना है। सौनभद्रा, चंदौली, वाराणसी, जबलपुर, बस्ती, बलरामपुर, श्रावस्ती और अम्बेडकर नगर में गीली वादियां और जलभराव की पुष्टि हुई है।

फसलियों और सामान्य जनता पर प्रभाव

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2025 की फ़सल अवधि में 3.2 मिलियन हेक्टेयर का किसा उगाया गया है। भारी बारिश ने धान, गेंहूँ और सरसों की फसलों को दो‑तीन दिन के लिए राहत दी, परन्तु कुछ क्षेत्रों में जलजमाव के कारण जड़ rot का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों ने किसानों को फसल‑रक्षण‑जाल (Crop‑insurance) के तहत दावे दाखिल करने और तुरंत निकासी कार्यों में सहयोग करने की सलाह दी है।

विशेषज्ञों की टिप्पणी

विशेषज्ञों की टिप्पणी

मौसम विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र सिंह, जो इंदिरा गांधी विश्वविध्यालय, मोतिहारी में पढ़ाते हैं, ने कहा, ‘पश्चिमी व्यवधान के कारण उत्तर-पूर्वी दिशा से ठंडी हवा आ रही है, जिससे बर्फ़ीले ओले भी सम्भव हैं। यदि नागरिक सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया गया तो नुकसान का आकार बढ़ सकता है।’
वहीं, डॉ. अन्ना शर्मा, जल संरक्षण विशेषज्ञ, ने चेतावनी दी कि ‘बारिश के साथ तेज़ हवा ने बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में रास्तों को बंद कर दिया है, इसलिए आपातकालीन सेवाओं को त्वरित राहत कार्यों के लिए तैयार रहना चाहिए।’

आगे की संभावनाएँ और सुझाव

बीते कुछ दिनों में मौसम विभाग ने एक मॉनसन वर्षा चेतावनीउत्तर प्रदेश जारी किया है। इसका मतलब है कि 4‑7 अक्टूबर तक तेज़ बवंडर जारी रहेंगे, परन्तु 8 अक्टूबर के बाद बारिश की तीव्रता धीरे‑धीरे कम होने की उम्मीद है। आपके पास क्या करना चाहिए? यहाँ कुछ आसान कदम हैं:

  • घर में पक्की छत की जाँच करें और पानी की निकासी व्यवस्था सही रखें।
  • कृषि क्षेत्र में जल निकासी के लिए टनलिंग या बोर‑होल बनवाएं।
  • बिजली‑तूफान के समय मोबाइल चार्जर, टॉर्च और प्राथमिक उपचार किट तैयार रखें।
  • स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए जाने वाले अलर्ट को सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज़ चैनलों से अपडेट रखें।

समग्र रूप से, यह मानसून का एक ‘दुबारा उठाव’ है, जो राज्य के जल‑संधारण को सुधरने का अवसर भी बन सकता है, बशर्ते नियामक और जनता दोनों मिलकर आवश्यक तैयारियां करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बारिश के दौरान किसानों को कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

किसानों को फसल‑रक्षण‑जाल के तहत दावे दाखिल करने, खेतों में जल निकासी के लिए टनल या कूदे (कूट) बनवाने और फसल की उम्र के अनुसार उपयुक्त कीटनाशक व उर्वरक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही, बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में पड़ी फसल को तुरंत बचाना चाहिए।

क्या नयी बिजली‑तूफान चेतावनियाँ शहरों में भी लागू होंगी?

हां, विशेषकर प्रयागराज, त्रेता, मिर्जापुर, काशी (वाराणसी) और अयोध्या जैसे जिलों में बिजली‑तूफान चेतावनी जारी की गई है। नगर निगमों को आवश्यक कार्यवाही जैसे पेड़‑पौधों की छंटाई, पावर लाइनों की सुरक्षा जांच और आपातकालीन गैस सिलिंडर वितरण की व्यवस्था करनी होगी।

वेस्टर्न डिस्ट्रीक्ट्स में भारी बारिश से कौन से वाहन प्रभावित हो सकते हैं?

मोरादाबाद, मेरठ, गाज़ियाबाद और नोएडा में तेज़ धारा और जलभराव का खतरा है, इसलिए सार्वजनिक परिवहन, ट्रकों और निजी कारों को जलजत्रा वाले रास्तों से बचना चाहिए। सुनिश्चित करें कि वाहन में एंटी‑स्लिप टायर और मूसलिंग ब्लेड (जैसे फायर एम्ब्रेसरी) हों।

भारी बारिश के बाद तापमान में गिरावट क्यों महसूस हो रही है?

वॉल्यूमेट्रिक कूलिंग होती है; जब बरसात होती है तो वाष्पीकरण प्रक्रिया हवा से गर्मी को सोख लेती है, जिससे तापमान घटता है। इस कारण से कई शहरों में 2‑4°C तक ठंड का अनुभव किया जा रहा है, जो गर्मियों की लहर से राहत देता है।

9 टिप्पणि

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    anushka agrahari

    अक्तूबर 6, 2025 AT 19:35

    मानसून की उग्रता का प्रभाव न सिर्फ कृषि पर बल्कि दैनिक जीवन पर भी अत्यधिक है; तुरंत कदम उठाना आवश्यक है। सरकार द्वारा जारी किए गए अलर्ट का पालन करना ही सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय है। बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में जल निकासी की व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए; यह न केवल फसलों को बचाएगा, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखेगा। इस गंभीर स्थिति में सामूहिक सचेतना और संवाद अत्यंत जरूरी है।

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    aparna apu

    अक्तूबर 9, 2025 AT 11:53

    अभी जब उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तेज़ बारिश और बिजली‑तूफ़ान मार रहे हैं, तो ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपनी पूर्ण शक्ति का प्रदर्शन कर दिया हो। बहुत से लोग अपने घरों में जमे हुए पानी को देख कर घबराते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि यह सिर्फ अस्थायी असुविधा है, जो उचित तैयारी से आसानी से संभाली जा सकती है। कृषकार भाई-बहनों को तुरंत फसल‑रक्षण‑जाल में पंजीकरण करवाना चाहिए, क्योंकि बीमा के तहत मिलने वाले मुआवजे से नुकसान का बोझ हल्का किया जा सकता है। शहरों में ड्राइवर्स को सावधानी बरतनी चाहिए; जलभराव वाले रास्तों पर गति कम रखें, अन्यथा जल में फँस कर गाड़ी घिसक सकती है। बिजली‑तूफान के समय घर में प्लग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर रखना चाहिए, ताकि बिजली गिरने से किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचे जा सकें। सुरक्षा बलों को तुरंत उन क्षेत्रों में तैनात करना चाहिए जहाँ जल स्तर बढ़ रहा है, ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में त्वरित बचाव कार्य किया जा सके। स्थानीय प्रशासन को पेड़‑पौधों की छंटाई और कच्ची सड़कें ठीक करने का काम तेज़ी से करना चाहिए, क्योंकि ये उपाय बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे। भारी बारिश के साथ ही तापमान में गिरावट महसूस हो रही है, यह वाष्पीकरण के कारण है जिसकी वजह से हवा ठंडी हो जाती है। हम सभी को इस मौसम में अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए; धूप में रहने से विटामिन डी की कमी न हो, परन्तु ठंड के कारण सर्दी‑जूकाम से बचने के लिये दवाइयाँ साथ रखें। भविष्य में इसी तरह की घटनाओं से निपटने के लिए जिला स्तर पर जल‑संधारण टैंक और बोर‑होल बनवाएं, इससे जल संग्रहण में मदद मिलेगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में टनलिंग के लिए स्थानीय जलविज्ञानियों की सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। जिन इलाकों में बिजली‑तूफान का ख़तरा अधिक है, वहाँ के नागरिकों को अपने घरों में फॉसिल‑फ़्यूल जनरेटर की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि बिजली कटौती के समय भी जरूरतें पूरी हों। प्रकाश और संचार व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए मोबाइल चार्जर और टॉर्च को हमेशा चार्ज रखे; यह छोटी‑छोटी चीजें बड़े आपदा में बड़ी काम आती हैं। ऐसे समय में सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज़ चैनलों से अलर्ट अपडेट्स को फॉलो करना आवश्यक है, क्योंकि वही सबसे तेज़ जानकारी देता है। अगर किसी को तत्काल मदद चाहिए, तो नजदीकी सुरक्षा केंद्र या पुलिस स्टेशन से संपर्क करें; कई बार स्थानीय स्वयंसेवी समूह भी मदद के लिए तत्पर रहते हैं। आइए, हम सब मिलकर इस मानसून को सुरक्षित बनाएं और एक-दूसरे की मदद से इस कठिन समय को पार करें! 😊

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    arun kumar

    अक्तूबर 15, 2025 AT 06:46

    भाईयो और बहनो, इस बारिश से फसलें थोड़ी राहत पा रही हैं, पर जलजमाव से जड़रा रोग बढ़ सकता है; समय रहते निचोड़ निकालें। स्थानीय कृषि विभाग की मदद लेनी चाहिए, वे सही सलाह दे सकते हैं। मिल जुलकर काम करने से ही हम इस मुश्किल को आसान बना सकते हैं।

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    Karan Kamal

    अक्तूबर 21, 2025 AT 01:40

    अत्यधिक बवंडर के कारण परिवहन पर भारी असर पड़ा है; तुरंत वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग करें। जलभराव वाले क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को अनदेखा न करें।

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    Navina Anand

    अक्तूबर 26, 2025 AT 20:33

    ध्यान रखें, हर व्यक्ति सुरक्षित रहे! 🌟

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    Prashant Ghotikar

    नवंबर 1, 2025 AT 15:26

    समाचार पढ़कर लगता है कि राज्य में कई जिलों में गंभीर स्थिति है, इसलिए घर में रखे प्लंबिंग और जल निकासी सिस्टम को चेक करें। यदि कोई लीक या अड़चन है, तो तुरंत मरम्मत करवाएं। किसानों को फसल‑रक्षण‑जाल के दावों को समय पर दाखिल करना चाहिए, ताकि क्षतिपूर्ति मिल सके। साथ ही, स्थानीय स्वच्छता आयोग को भी इस बाढ़‑प्रवण समय में सफाई का काम तेज़ी से करना चाहिए। अंत में, सभी को आपसी सहयोग और सतर्कता से इस मौसम को पार करने की शुभकामनाएँ।

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    Sameer Srivastava

    नवंबर 7, 2025 AT 10:20

    क्या बाप रे!! मौसम ने तो पूरी फुर्सत ले ली है!!! हर जगह पानी का जलवा है, और गाड़ी भी चलाती नहीं... जल्दी से सब लोग अपने-अपने घर में सुरक्षित रहें!!!

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    नवंबर 13, 2025 AT 05:13

    इस बवंडर के दौरान कुछ क्षेत्रों में बिजली की धारा गिरने की खबरें मिलती रही हैं; इसलिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्लग से बाहर निकालना बेहतर है। जल निकासी के लिये स्थानीय अभियांत्रिकी टीमों को जल्दी से जल्दी कार्यवाही करनी चाहिए। किसान भाइयों को फसल‑रक्षण‑जाल के माध्यम से दावे जमा करने में देरी नहीं करनी चाहिए। साथ ही, सार्वजनिक परिवहन सेवा को भी इस अस्थायी व्यवधान को ध्यान में रखते हुए अनुकूलित किया जाना चाहिए।

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    Avadh Kakkad

    नवंबर 19, 2025 AT 00:06

    भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के डेटाबेस के अनुसार, पश्चिमी व्यवधान के प्रभाव से इस समय उत्तर प्रदेश में औसत वर्षा दर सामान्य से लगभग दो गुना अधिक है। इसके अलावा, ओले‑बूँदों के साथ ठंडी हवाओं की संभावना भी उच्च स्तर पर मानी गई है। इस प्रकार, जल‑संकट प्रबंधन के लिए पूर्व-नियोजन आवश्यक है। इसलिए, स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन संसाधन तैनात करके इस परिस्थिति को बेहतर तरीके से संभालना चाहिए।

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