जब आप महर्षि वाल्मीकि, भारतीय साहित्य के आदि कवि और रामायण के रचयिता, जिन्होंने संस्कृत में पहली श्लोकबद्ध काव्य रचना की। अनुसार जीवन के बारे में सोचते हैं, तो आप एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोच रहे होते हैं जिसने एक चोर से शुरुआत की और एक ऋषि बन गया। ये न सिर्फ़ एक कवि थे, बल्कि एक आत्म-परिवर्तन की कहानी हैं। उनकी रचना, रामायण, एक महाकाव्य जो धर्म, न्याय, भक्ति और मानवीय व्यवहार का दर्पण है। अभी भी हर घर में पढ़ा जाता है, हर शिक्षा के बाद उसकी बातें याद की जाती हैं।
महर्षि वाल्मीकि के बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि वो अपने जीवन में बदलाव लाने वाले पहले लोगों में से एक थे। वो राजा के दरबार में नहीं, बल्कि जंगलों में बैठकर अपनी आत्मा को शुद्ध करते थे। जब उन्होंने एक कौए के चीखने की आवाज़ सुनी, तो उनके मन में एक श्लोक उत्पन्न हुआ — यहीं से रामायण की शुरुआत हुई। ये कोई आम कहानी नहीं है। ये एक ऐसा उदाहरण है जो बताता है कि साहित्य का जन्म कहीं भी हो सकता है — बस दिल में भाव होना चाहिए। उनकी भक्ति और ज्ञान ने आगे चलकर संस्कृत साहित्य, भारतीय ज्ञान और कला का मूल स्रोत, जिसमें वेद, उपनिषद और महाकाव्य शामिल हैं। को एक नया आयाम दिया। उनके बाद के कवि भी उनके शैली को अपनाते रहे।
आज भी जब कोई बच्चा राम की कहानी सुनता है, या कोई व्यक्ति अपने जीवन में धर्म का मार्ग ढूंढ रहा होता है, तो वो महर्षि वाल्मीकि के शब्दों को अनुभव कर रहा होता है। उनकी कृति सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि एक जीवन-निर्देशिका है। उन्होंने बताया कि न्याय क्या है, भक्ति क्या है, और जब इंसान गलत रास्ते पर चलता है, तो उसकी आत्मा क्या बदल जाती है। ये सब आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है। इस पेज पर आपको ऐसे ही लेख मिलेंगे — जो महर्षि वाल्मीकि के जीवन, उनकी रचनाओं, और आधुनिक समय में उनकी विरासत को समझाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आज भी भारत के किसी गाँव में रामायण का पाठ उनके नाम पर होता है? ये देखने के लिए नीचे दिए गए लेखों को जरूर पढ़ें।