बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है जिसे किसी बैंक या सरकार नहीं चलाती। इसे ब्लॉकचेन नाम की तकनीक पर बनाया गया है, जिसका मतलब है कि लेनदेन सार्वजनिक और सुरक्षित तरीके से रिकॉर्ड होते हैं। यह लोगों को सीधे एक-दूसरे को पैसे भेजने की आज़ादी देता है, बिना बीच वाले।
ब्लॉकचेन में छोटी-छोटी जानकारी की 'चेन' बनती है। जब कोई बिटकॉइन भेजता है, तो वो ट्रांज़ैक्शन नेटवर्क पर दूसरे कंप्यूटरों द्वारा वेरिफ़ाई होता है और फिर ब्लॉक में जुड़ जाता है। इससे डबल-स्पेंडिंग (एक ही पैसे को दो बार खर्च करना) लगभग असंभव हो जाता है।
लोग बिटकॉइन रखते हैं इसलिए कि यह पारंपरिक करेंसी से अलग है — सीमित सप्लाई (कुल 21 मिलियन) और आसान ट्रांसफर इसे निवेश और वैकल्पिक भुगतान के रूप में लोकप्रिय बनाते हैं। पर ध्यान रखें, कीमत बहुत उतार-चढ़ाव वाली होती है।
बिटकॉइन खरीदने के लिए आप क्रिप्टो एक्सचेंज (उदाहरण के लिए: भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज) पर अकाउंट बनाते हैं, KYC करते हैं और बैंक या UPI से रुपये ट्रांसफर करके खरीदते हैं। छोटी मात्रा से शुरुआत करें और पहले पूरी प्रक्रिया समझ लें।
स्टोरेज के दो मुख्य तरीके होते हैं: कस्टोडियल (एक्सचेंज या सर्विस आपके लिए रखती है) और नॉन-कस्टोडियल (आप खुद वॉलेट के मालिक होते हैं)। नॉन-कस्टोडियल वॉलेट में private key आपकी जिम्मेदारी होती है—इसे खोया तो पैसा वापस नहीं मिलता। हॉट वॉलेट (इंटरनेट से जुड़ा) रोज़मर्रा के लिए ठीक है, पर बड़ी राशि के लिए हार्डवेयर वॉलेट बेहतर है।
सुरक्षा टिप्स: 2FA चालू रखें, मजबूत पासवर्ड इस्तेमाल करें, फ़िशिंग लिंक से सावधान रहें और अपने प्राइवेट कीज़ ऑफ़लाइन रखें।
भारत में टैक्स और नियम तेजी से बदल सकते हैं। 2022 के बाद टैक्स नियमों ने क्रिप्टो पर सख्ती बढ़ाई — निश्चित टैक्स दर लागू है और कुछ लेनदेन पर TDS भी लगता है। इसलिए किसी भी निवेश से पहले टैक्स नियम और एक्सचेंज की रिपोर्टिंग पॉलिसी चेक कर लें।
जोखिम छोटा मत समझिए: कीमतें अचानक गिरीं तो बड़ा नुकसान हो सकता है। स्कैम, मार्केट मैनिपुलेशन और तकनीकी बग भी जोखिम हैं। इसलिए निवेश की राशि वह रखें जिसे आप खोने का दबाव संभाल सकें।
अगर आप शुरू कर रहे हैं तो रीसर्च करें, छोटी रकम से शुरुआत करें, और किसी भरोसेमंद संसाधन या एक्सचेंज की मदद लें। बिटकॉइन ने लोगों के लिए नए मौके खोले हैं, पर समझदारी और सुरक्षा के बिना यह खतरनाक भी साबित हो सकता है।