सुमित नागल की पेरिस ओलंपिक्स से जल्दी विदाई: पहले राउंड में हार का सामना

सुमित नागल की पेरिस ओलंपिक्स से जल्दी विदाई: पहले राउंड में हार का सामना

मानसी विपरीत 28 जुल॰ 2024

भारत के शीर्ष रैंकिंग के टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में पुरुष सिंगल्स टेनिस इवेंट के पहले राउंड में ही विदाई ले ली। 26 वर्षीय नागल फ्रांस के आशाजनक खिलाड़ी कोरेंटिन माउटेट से तीन सेटों के रोमांचक मुकाबले में पराजित हो गए। इस मैच ने दर्शकों को पूरे दो घंटे और 28 मिनट तक रोमांचित रखा। पहला सेट हारने के बाद, नागल ने जोरदार वापसी की, लेकिन अंततः 2-6, 6-4, 5-7 से मैच हार गए। यह नागल के लिए दूसरा ओलंपिक गेम था और इसका अनुभव उन्हें भविष्य के अन्य मुकाबलों में निश्चित ही मदद करेगा।

पहले सेट का संघर्ष

मैच की शुरुआत ही कठिनाईयों से भरी रही। नागल पहली सेट में माउटेट के सामने ज्यादा टिक नहीं पाए और उन्हें 2-6 से हार का सामना करना पड़ा। माउटेट ने अपनी तकनीकी और शारीरिक तैयारी का पूरा लाभ उठाते हुए नागल को पहले सेट में बुरी तरह हराया। इसका कारण माउटेट का प्रभावी सर्व और नेट प्ले था, जो पहले सेट में नागल के लिए कठिनाई भरा साबित हुआ। लेकिन यह हार नागल को हताश करने वाली नहीं थी, बल्कि उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया।

वापसी का जज्बा

पहले सेट की हार के बाद, नागल ने दमदार वापसी की। दूसरे सेट में उन्होंने अपनी रणनीति को बदला और जल्द ही माउटेट के खिलाफ 6-4 से जीत दर्ज की। इस सेट में नागल ने अधिक प्रभावी रूप से अपनी फोरहैंड और बैकहैंड का उपयोग किया। इसके अलावा, वह माउटेट के कमजोरियों को पहचानने लगे और इसे अपने फायदे में बदलने लगे। दर्शकों ने नागल के इस जज्बे की सराहना की और तालियों से उनका हौसला बढ़ाया। दूसरे सेट की यह जीत नागल के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक साबित हुई।

आखिरी सेट का नाजुक मोड़

आखिरी सेट का नाजुक मोड़

तीसरे और आखिरी सेट में दोनों खिलाड़ियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। शुरुआती गेम्स में दोनों ने बराबरी का मुकाबला किया, लेकिन निर्णायक क्षणों में माउटेट ने अपनी नर्व को स्टील किया और निर्णायक 7-5 से सेट जीत लिया। आखिरी सेट के दौरान कई बार ऐसा लगा कि नागल इस सेट को भी जीत सकते हैं, लेकिन माउटेट ने अंत तक संयम बनाए रखा और अपनी जीत सुनिश्चित की।

भविष्य की योजनाएं और ओलंपिक अनुभव

यह हार नागल के लिए निराशाजनक हो सकती है, लेकिन इसे अनुभव के रूप में देखना चाहिए। ओलंपिक जैसी महान प्रतियोगिता में दूसरी बार भाग लेना ही एक बड़ी बात है। नागल ने इससे पहले भी अपने खेल को लेकर कई कठोर परिस्थितियों का सामना किया है और हर बार मजबूती से वापस आए हैं। पेरिस ओलंपिक्स में उनकी यह हार उनके लिए एक सीख साबित हो सकती है, जो उन्हें भविष्य में और भी मजबूत बनाएगी।

इस परिणाम के बावजूद, भारतीय टेनिस प्रशंसक नागल के प्रति अपने समर्थन को जारी रखेंगे। उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा साबित होगी। अब नागल की निगाहें अगले ग्रैंड स्लैम और अन्य महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों पर होंगी, जहां उन्हें अपनी काबिलियत को और भी प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।

सुमित नागल की यात्रा सिर्फ यहीं तक नहीं रुकेगी। यह हार उनके करियर का एक हिस्सा है, लेकिन उनके अद्वितीय हुनर और आत्मविश्वास को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह आगे और भी बड़ी ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

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