सप्ताह के प्रमुख IPOs की झलक
निवेशकों की निगाहें अगले सोमवार को खुले वाले सात IPOs पर टिकी हैं, जिनका कुल इश्यू आकार ₹4161 करोड़ है। ये कंपनियां विभिन्न सेक्टरों से आती हैं—ऊर्जा, टेक, हेल्थकेयर, एग्रीबिजनेस, ई‑कॉमर्स, डिजिटल सेवाएं और रियल एस्टेट। नीचे प्रमुख विवरण दिए गये हैं:
- इंट्रा पावरसोल लिमिटेड – इश्यू आकार ₹550 करोड़, मूल्य बैंड ₹210‑₹240, GMP +12%.
- फाइनान्सियो टेक्नोलॉजीज – इश्यू ₹420 करोड़, बैंड ₹340‑₹380, GMP +8%.
- हेल्थकेयर इंडिया – इश्यू ₹380 करोड़, बैंड ₹150‑₹170, GMP +15%.
- एग्रीवॉइड एंटरप्राइजेज – इश्यू ₹310 करोड़, बैंड ₹210‑₹235, GMP +5%.
- ई‑कोमर्स यू एंटरप्राइजेज – इश्यू ₹495 करोड़, बैंड ₹380‑₹420, GMP +10%.
- डिजिटल एन्हांसमेंट्स प्रा. Ltd – इश्यू ₹290 करोड़, बैंड ₹140‑₹160, GMP +18%.
- रिअल एस्टेट वेंचर्स लिमिटेड – इश्यू ₹216 करोड़, बैंड ₹220‑₹250, GMP +7%.
इन कंपनियों ने अपने IPO के लिए खुले बिड प्राइस बैंड प्रदान किए हैं, जिससे व्यक्तिगत निवेशकों को एंट्री प्राइस चुनने में लचीलापन मिला है। सब्सक्रिप्शन दरों की पूर्वधारणाएँ अभी तक क्लियर नहीं हैं, पर ग्रे मार्केट प्रीमियम के आधार पर एक उत्साहजनक मांग की संभावना बनी हुई है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या बताता है?
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) वह अतिरिक्त रिटर्न है जो निवेशक बुकबिल्डिंग के दौरान प्राथमिक ट्रेडिंग पर देखते हैं। उच्च GMP आमतौर पर अधिक मांग, सीमित ऑफरिंग और संभावित उच्च पोस्ट‑IPO रिटर्न का संकेत देता है। इस हफ़्ते के डेटा में, डिजिटल एन्हांसमेंट्स और हेल्थकेयर इंडिया के GMP 15‑18% तक पहुंच गए हैं, जो इन शेयरों को ‘हॉट’ वर्ग में रखता है। वहीं, एग्रीवॉइड का GMP मात्र 5% रह गया, जिससे निवेशकों को सावधानी बरतने का संकेत मिलता है।
निवेशक दिलचस्पी को मापने के लिए ग्रे मार्केट सर्वे का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं है। अंतिम सब्सक्रिप्शन दर, एंट्री प्राइस और पोस्ट‑लिस्टिंग प्रदर्शन अभी भी कई कारकों पर निर्भर करेंगे—जैसे बाजार की लिक्विडिटी, सेक्टरल ट्रेंड और कंपनी की फंडामेंटल्स। इस वजह से, उन निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे IPO के ऑफर डॉक्यूमेंट को गहराई से पढ़ें और अपनी जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार निर्णय लें।
NARESH KUMAR
सितंबर 24, 2025 AT 21:42बहुत बढ़िया जानकारी, भाई! 🙌 ग्रे मार्केट प्रीमियम को समझना थोड़ा जटिल लगता है, पर आपने इसे आसान भाषा में बयां किया है। अगर आप कोई और डेटा या पिछले IPO के केस स्टडी शेयर करेंगे तो सबको और मदद मिलेगी। 😊
Purna Chandra
अक्तूबर 5, 2025 AT 19:18सच कहा जाए तो इस सात IPO के पीछे बड़ा पालतू खेल चल रहा है। ये कंपनियां सिर्फ एकत्रित पूंजी नहीं, बल्कि नियामक क्षमता को भी हथियार बना रही हैं। ग्रे मार्केट में इतना प्रीमियम पाना यानी बाजार में औजार बंदी की संकेतना है-जैसे कि कुछ प्रमुख बोर्डरूमों में छुपे दांव। यह स्पष्ट है कि बड़े फंड्स इस मौके को अपनी जेब में भरने के लिए बड़े पैमाने पर सट्टा लगा रहे हैं। इस सिलसिले में, हम यह नहीं कह सकते कि यह सब स्वच्छ है; बल्कि यह एक गुप्त गठबंधन की स्याही भी हो सकती है।
Mohamed Rafi Mohamed Ansari
अक्तूबर 16, 2025 AT 16:54सभी निवेशकों को सलाह देता हूँ कि IPO की ऑफरिंग डाक्युमेंट को ध्यान से पढ़ें। इसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति, उधार लिवरेज तथा भविष्य की रणनीति का विस्तृत विवरण मिलता है। साथ ही, ग्रे मार्केट प्रीमियम का हिसाब‑किताब लक्षणीय है, पर यह हमेशा सफलता की गारंटी नहीं देता। यदि आप जोखिम सहनशीलता का आकलन कर चुके हैं तो उचित बिड प्राइस चुनें। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपनी पोर्टफ़ोलियो में विविधता रखें, ताकि एक ही IPO का असर अधिक न पड़े।
अभिषेख भदौरिया
अक्तूबर 27, 2025 AT 14:30पिछले टिप्पणी में उल्लेखित अंधेरे साजिश को देखते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए कि वित्तीय बाजारों का मूल उद्देश्य पूंजी का कुशल वितरण है। अत्यधिक संदेह हमेशा उपयोगी नहीं होता, क्योंकि यह निवेशकों को सच्ची संभावनाओं से वंचित कर सकता है। इसलिए ग्रे मार्केट प्रीमियम को एक संकेतक के रूप में देखना चाहिए, न कि पूरी तरह से धोखाधड़ी का प्रमाण।
Nathan Ryu
नवंबर 7, 2025 AT 12:06इन IPO के आसपास का भड़का माहौल देखते हुए, मैं यह कहना चाहूँगा कि निवेश से पहले नैतिक दृष्टिकोण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। अत्यधिक लालच अक्सर लोगों को नुकसान की ओर ले जाता है, और ग्रे मार्केट में फँसना आसान होता है। हमें अपने वित्तीय लक्ष्य और सामाजिक जिम्मेदारी को संतुलित करके ही कदम उठाना चाहिए।