पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन
भारत ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक जीते, जिसमें सात स्वर्ण, नौ रजत और 13 कांस्य पदक शामिल थे। इस उपलब्धि ने भारत को कुल पदक तालिका में 18वें स्थान पर पहुंचा दिया, जो पैरालंपिक खेलों में भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। यह ऐतिहासिक सफलता पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है और भविष्य में पैरालंपिक खेलों में भारत की बढ़ती शक्ति को दर्शाता है।
भारत की इस शानदार यात्रा के पीछे कई खिलाड़ियों का अथक परिश्रम और समर्पण है। विशेष रूप से, नवदीप सिंह ने पुरुषों के भाला फेंक (F41) वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने ईरान के बेइत सादेघ के अयोग्य घोषित होने के बाद यह उपलब्धि हासिल की। वहीं, सिमरन शर्मा ने महिलाओं की 200 मीटर (T12) दौड़ में कांस्य पदक जीता, अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 24.75 सेकंड के साथ।
ट्रैक एंड फील्ड में भारत की सफलता
भारत के ट्रैक एंड फील्ड एथलीट्स ने इस पैरालंपिक में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विभिन्न श्रेणियों में कुल 17 पदक, जिनमें चार स्वर्ण, शामिल थे। इनमें प्रमुख उपलब्धियाँ प्रीति पाल की थीं, जिन्होंने महिलाओं के 100 मीटर और 200 मीटर (T35) स्प्रिंट्स में दो कांस्य पदक जीते। वह एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।अवनी लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग (SH1) में अपने टोक्यो 2020 के खिताब की रक्षा की और दो बार की पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता बनीं।
पैरा-बैडमिंटन में भारत का प्रमुख प्रदर्शन
थुलसिमथी मुरुगेशन ने पैरा-बैडमिंटन में महिलाओं के एकल SU5 में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके साथ ही भारतीय महिला पैरा-शटलर्स ने इस खेल में अपने पहले पैरालंपिक पोडियम फिनिश दर्ज किए, कुल मिलाकर तीन पदक जीते।
अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
पुरुषों के भाला फेंक (F64) में सुमित अंतिल ने बार-बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए अपने टोक्यो 2020 का खिताब बचाया। 17 वर्षीय युवा तीरंदाजी सेंसेशन शीतल देवी भी इस बार के तालिका में योगदान करने वाले प्रमुख खिलाड़ियों में से एक थीं।
पैरालंपिक खेलों में भारत की बढ़ती शक्ति
पेरिस गेम्स ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत पैरालंपिक खेलों में एक उभरती हुई शक्ति है। खिलाड़ियों के इस अद्वितीय प्रदर्शन ने न केवल देश का सिर गर्व से ऊँचा किया है, बल्कि भविष्य के पैरालंपिक आयोजनों में भारत की संभावनाओं को भी उजागर किया है। इस शानदार प्रदर्शन का श्रेय केवल खिलाड़ियों और उनके कोचों को ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों और सहयोगी स्टाफ को भी जाता है, जिन्होंने अनगिनत त्याग और समर्पण से इस सफलता की नींव रखी है।