कंगना रनौत का बयानः किसान आंदोलन की तुलना बांग्लादेश से
बॉलीवुड अभिनेता और मंडी से लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी कंगना रनौत ने अपने हालिया बयान से एक नई बहस को जन्म दिया है। कंगना ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि इसमें बांग्लादेश जैसी लंबी योजना बनाई गई थी और इसके पीछे विदेशी शक्तियाँ जैसे कि चीन और अमेरिका का हाथ हो सकता है। इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों, खासकर कांग्रेस ने कंगना रनौत पर हमला बोला है।
कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत का सवाल
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा और सरकार से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए सवाल किया है कि क्या कंगना रनौत के विचार उनकी निजी राय है या ये भाजपा और सरकार के विचार हैं? उन्होंने पूछा कि क्या सरकार और भाजपा भी मानती हैं कि अमेरिका और चीन भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
सुप्रिया श्रीनेत का हमला और जवानी माँग
सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत के बयान को 'गंभीर' बताते हुए कहा कि क्या भाजपा इस तरह के विचारों का समर्थन करती है? उन्होंने कहा कि कंगना ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की है और इससे किसानों की भावना को ठेस पहुंची है। कांग्रेस पार्टी लगातार इस बयान पर भाजपा और सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रही है।
कंगना रनौत का बचाव
कंगना रनौत के बयान के बाद भाजपा के अन्य नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उनका बचाव किया है। स्मृति ईरानी ने कहा कि कंगना रनौत ने जो बातें कही हैं, उन पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि वो एक जिम्मेदार नागरिक हैं। उन्होंने कंगना के बयान को समर्थन देते हुए कहा कि उन्हें बोलने की स्वतंत्रता है और किसान आंदोलन के पीछे की शक्तियों पर सवाल उठाया जाना जरूरी है।
कांग्रेस की आलोचना और बढ़ता विवाद
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक तीखा रुख अपनाया है और कंगना रनौत और भाजपा पर लगातार हमला कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि कंगना ने बिना किसी ठोस प्रमाण के बयान दिए हैं जिससे देश में आपसी भाईचारा और शांति पर असर पड़ा है। कांग्रेस ने भी भाजपा से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि वे कंगना के विचारों का समर्थन करती हैं या नहीं।
विवाद की जड़ और भविष्य
कंगना रनौत के इस बयान ने एक नई बहस और विवाद को जन्म दिया है। किसान आंदोलन की चर्चा पहले से ही राजनीतिक गलियारों में हो रही है और इस नए बयान ने इसे और ज्यादा तूल दे दिया है। अब देखना ये है कि भाजपा और सरकार इस पर क्या रुख अपनाते हैं और कांग्रेस इस मुद्दे को कैसे आगे बढ़ाती है। यह विवाद आने वाले समय में भी चर्चाओं का विषय बना रह सकता है, खासकर आगामी चुनावी माहौल को देखते हुए।