जब Munawar Faruqui, stand‑up comedian को मारने की साज़िश हफ्तों से चल रही थी, तभी Delhi Police ने 2 अक्टूबर 2025 की सुबह 3 बजे Jaitpur‑Kalindi Kunj Road पर दो गन घटाते हुए इस खतरनाक योजना को नाकाम कर दिया। दो शूटर, Rahul (29) और Sahil Kumar (37), पुलिस के साथ आँकड़ में पड़ गए, पैर में वार किया गया और तुरंत अस्पताल ले जाया गया। यह एफआईआर के बाद का पहला बड़ा ऑपरेशन है जो इस तरह के अंतर‑राज्यीय गैंग‑ड्रिवेन हत्या योजना को रोकता दिखता है।
पृष्ठभूमि और लक्ष्य
समीक्षकों के अनुसार, Rohit Godara और Goldy Brar के बीच का गठजोड़ अब तक के सबसे ख़तरनाक नेटवर्क में गिना जाता है। दोनों विदेश में रहते हैं, पर Virender Charan की मदद से भारत में कार्यशैली बरकरार रखी हुई है। उनका दायरा हरियाणा के यमुनानगर से लेकर कर्नाटक के बेंगलुरु तक फैला है, और हाल ही में उन्होंने Munawar Faruqui के हिंदू देवताओं पर चुटकुले करने को अपमान मानते हुए उसे मारने का आदेश दिया।
संपूर्ण घटना विवरण
ऑपरेशन की शुरुआत तब हुई जब Pramod Singh Kushwah, Additional Commissioner (Special Cell) ने बताया कि उन्हें एक गुप्त सूचना मिली थी कि यमुनानगर के ट्रिपल मर्डर केस से जुड़ा एक गैंगस्टर उसी रास्ते पर आता दिखा। पुलिस ने तुरंत पस्ता रोड से पहुँच कर इन दो संदिग्धों को रोकने की कोशिश की। जब Jaitpur‑Kalindi Kunj Road पर पुलिस ने रोक दिया, तो उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने घातक जवाबी कार्रवाई की, जिससे दोनों शूटरों के पैर में गोली लगी। उनका हथियार, एक पिस्तौल और एक राइफल, बरामद हुए। साथ ही आरोपी की मोटरसाइकिल भी जब्त की गई।
- जून 2025 में बेंगलुरु के एक इवेंट में पहले असफल हमला किया गया था।
- Rahul को यमुनानगर के दिसंबर 2024 के ट्रिपल मर्डर केस में भी हिरासत में रहा था।
- विरेंडर चारण की भूमिका इस योजना में सीधे निर्देश देना था।
- गोल्डी ब्रार और रोहित गोदारा अभी भी विदेश में ही रह रहे हैं, इंटरपोल ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर रखा है।
मुख्य संबंधी व्यक्तियों के बयान
ऑपरेशन के बाद Pramod Singh Kushwah ने कहा, "हमारी टीम को मिली इंटेलिजेंस ने हमें इस साज़िश को रोकने का मौका दिया। यह दर्शाता है कि विशेष सेल की तेज़ कार्रवाई और सहयोगी एजेंसियों की मदद से हम ऐसे बड़े खतरों को तुरंत पहचान कर खतम कर सकते हैं।" उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि अभी तक गैंग के सभी वरिष्ठ नेताओं को पकड़ना बाकी है, पर यह गिरावट उनकी जासूसी नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर कर देगी।
पहले एक विश्वसनीय स्रोत ने बताया कि Goldy Brar ने अपनी टीम को "इस्लामिक मूल्यों की रक्षा" के नाम पर इस हत्या का आदेश दिया था, जबकि Rohit Godara ने इसे "धर्म आधारित अपमान" का प्रतिउत्तर बताया।
कुंगियों की पहचान और अंतरराष्ट्रीय संबंध
गुज़रते हुए महीनों में पुलिस ने पाया कि इन दो शूटरों ने कई बड़े शहरों में Munawar Faruqui के इवेंट्स को ट्रैक किया था। मुंबई, बेंगलुरु, पन्नीबुक्के के होटल और क्लबों के CCTV फुटेज में उनके गाड़ी, हेलीकॉप्टर और वाहन का लगातार मिलान हुआ। अत्यधिक सावधानी के कारण, कम से कम एक बार उस कार को बदल देना पड़ा, जिससे असली हिट का अवसर टल गया। यह जिस तरह की विस्तृत अनुकरणीय योजना बनाते हैं, वह दर्शाता है कि गैंग के पास एक बड़ा नेटवर्क और वित्तीय समर्थन है, जो सीधे विदेशी दांव पर स्थित है।
भविष्य की सुरक्षा उपाय और संभावित प्रभाव
इस घटना ने भारत में सेंसिटिव पर्सनालिटी की सुरक्षा को फिर से चर्चा में ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिविल सोसाइटी और प्रशासन को मिलकर एक "हाई-रिस्क प्रोफ़ाइल" डेटाबेस बनाना होगा, जहां उन लोगों की सूची हो जिनके खिलाफ गैंग या आतंकवादी समूहों की नज़र हो सकती है। साथ ही, स्पेशल सेल को और अधिक इंटेलीजेंस संसाधन और तकनीकी सहूलियतें प्रदान करने की बात भी उठ रही है।
इसके अलावा, इस केस का अंतरराष्ट्रीय पहलू भी महत्वपूर्ण है। इंटरपोल ने रोहित गोदारा और गोल्डी ब्रार के खिलाफ यूरोप के कई देशों में वаран्ट जारी किया है, और भारतीय कूटनीति अब उनके एक्स्ट्रा-टेरिटोरियल कनेक्शन को उजागर करने के लिए सहयोगी देशों से सक्रिय मदद की मांग कर रही है। यदि इन दो प्रमुख नेताओं को पकड़ लिया गया, तो यह पूरे गैंग नेटवर्क को तोड़ने में अहम कदम साबित हो सकता है।
Frequently Asked Questions
यह योजना क्यों बनायी गई थी?
गैंग लीडर Goldy Brar ने Munawar Faruqui के हिंदू देवताओं पर चुटकुले करने को धार्मिक अपमान माना, इसलिए उन्होंने उसकी हत्या को एक संकेत के रूप में इस्तेमाल करने का आदेश दिया।
कौन-कौन से शहरों में शूटरों ने निगरानी की?
जांच में पता चला कि उन्होंने मुंबई, बेंगलुरु, पन्नीपूर, नई दिल्ली और कुछ बारसात में भी लक्षित व्यक्ति की हरकतों को ट्रैक किया था, जिससे इस साज़िश का राष्ट्रीय स्तर का असर स्पष्ट होता है।
क्या जेल के अलावा कोई अतिरिक्त सजा लागू होगी?
वर्तमान में दोनों शूटरों को हत्या की साज़िश, ट्रिपल मर्डर केस और शस्त्रागार के लिए अतिरिक्त आरोपों के तहत कोर्ट में पेश किया जाएगा, जिसमें जीवन भर की कारावास की संभावनाएँ भी शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने इस आपरेशन को कैसे सफल बनाया?
स्पेशल सेल को प्राप्त हुई विशेष इंटेलिजेंस, सटीक टाइमिंग और तेज़ प्रतिक्रिया ने उन्हें शूटरों को रोकने में मदद की; साथ ही, अंडरकवरी में मिली बाइंडिंग साक्ष्य ने न्यायिक कार्यवाही को मजबूत बनाया।
भविष्य में इस तरह के खतरों से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल, साइबर निगरानी के साथ साथ सेंसिटिव पर्सनालिटीज़ के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा सलाहकारों की नियुक्ति, तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना जरूरी होगा ताकि ऐसे राष्ट्रीय-स्तर के गैंग नेटवर्क को टाल सकें।
sumi vinay
अक्तूबर 3, 2025 AT 05:15वाह! दिल्ली पुलिस ने फिर एक बार दिखा दिया कि इंटर‑स्टेट गैंग को रोकने में उनकी तेज़ कार्रवाई कितनी असरदार है। उन्होंने सिर्फ दो शूटर को ही नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क को घोटा दिया। अब हमें भरोसा है कि सेंसिटिव पर्सनालिटीज़ की सुरक्षा बेहतर होगी। सबको बधाई!
Anjali Das
अक्तूबर 3, 2025 AT 08:02इस तरह की साज़िशें बाहर से आती हैं और हमारे देश की धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं; इसे कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए
Dipti Namjoshi
अक्तूबर 3, 2025 AT 10:49दिल्ली पुलिस के इस तीव्र कदम ने न केवल एक जान लेनी वाली साजिश को रोका, बल्कि हमारे सामुदायिक सहनशीलता की भी परीक्षा ली। इस घटना ने यह उजागर किया कि धार्मिक संवेदनशीलता को लेकर कुछ तत्व कितनी हद तक अंधविश्वास में डूबे हुए हैं। मुन्नवार फरूकी ने हमेशा सामाजिक मुद्दों को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश किया, जिससे लोगों को सोचने का मौका मिला। उनका कॉमेडी का मकसद कभी किसी की अपमानित करना नहीं था, बल्कि विचारों की विविधता को स्वीकारना था। फिर भी उन्होंने कुछ समूहों को इतना आहत किया कि उन्हें इस स्तर तक पहुँच गया। यह दर्शाता है कि कलंकित विचारों को रोकना समाज की जिम्मेदारी है। पुलिस की तेज़ प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि राज्य सुरक्षा में खतरों को जल्द पहचानना और उनका ख़ात्मा करना आवश्यक है। हमें यह भी सोचना चाहिए कि ऐसी साजिशों को रोकने के लिए किस हद तक इंटेलिजेंस नेटवर्क को सुदृढ़ किया जाए। साथ ही, सेंसिटिव पर्सनालिटीज़ को व्यक्तिगत सुरक्षा सलाहकारों की आवश्यकता है, जिससे वे संभावित जोखिमों से बच सकें। टेक्नोलॉजी की मदद से हम भविष्य में ऐसे ख़तरों का पूर्वाभास लगा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएगा, क्योंकि कई मामलों में अपराधियों के फ़ासले अब सीमाओं से परे हो चुके हैं। इंटरपोला के वॉरंट्स को लागू करना और सहयोगी देशों के साथ जानकारी साझा करना आवश्यक है। इस प्रकार, एक समन्वित प्रयास से ही हम राष्ट्र की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। अंत में, हमें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में विभिन्न विचारों का सम्मान करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है, और हिंसा कभी समाधान नहीं बन सकती। इस जीत को हम सभी को मिलकर मनाने चाहिए, क्योंकि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत है।
Prince Raj
अक्तूबर 3, 2025 AT 13:35पुलिस की ऑपरेटिव प्लानिंग में टैक्टिकल एंजेजमेंट और फायर सपोर्ट की बारीकी ने इस केस को ब्लॉक कर दिया; ऐसे ब्रीफ़िंग्स में फोरेंसिक डिटेल्स को इंटेग्रेट करना जरूरी है।