झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता चम्पाई सोरेन के 18 अगस्त 2024 को दिल्ली पहुंचने से राजनीतिक भूचाल पैदा हो गया है। यह खबर सामने आने के बाद कि सोरेन और पाँच JMM विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो सकते हैं, चुनावी सरगर्मियाँ और तेज हो गई हैं। इन अटकलों को सोरेन ने साफ तौर पर नकारा है और कहा है कि वह सिर्फ अपनी बेटी से मिलने दिल्ली आए हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ गर्म हैं।
राजनीतिक अटकलें और सोरेन का खंडन
चम्पाई सोरेन के दिल्ली पहुँचते ही यह चर्चा शुरू हो गई कि वे बीजेपी के संपर्क में हैं और जल्द ही पाँच अन्य JMM विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। सोरेन ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली आने का मकसद केवल अपनी बेटी से मिलना था। उनका कहना है कि न तो उन्होंने बीजेपी के किसी नेता से मुलाकात की है और न ही विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी से।
लोहबिन हेम्ब्रम के बयान ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी
हालाँकि, पूर्व JMM विधायक लोहबिन हेम्ब्रम के बयान से यह अटकलें और भी पुख्ता हो गईं। हेम्ब्रम ने संकेत दिया कि चम्पाई सोरेन बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में हैं। इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी चम्पाई सोरेन के मुख्यमंत्री काल की तारीफ की, जिससे इन अटकलों को और बल मिला।
सोरेन का असंतोष
चम्पाई सोरेन ने पहले भी अपनी असंतुष्टि व्यक्त की थी जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर हेमंत सोरेन को बनाने का फैसला किया गया था। हेमंत सोरेन के जेल से बेल पर छूटने के बाद चम्पाई सोरेन को पद से हटा दिया गया था, जिससे उनके मन में नाराजगी का भाव देखा गया।
झारखंड की वर्तमान राजनीतिक स्थिति
झारखंड विधानसभा में इस समय INDIA ब्लॉक के 47 विधायक हैं, जिसमें से 30 JMM के हैं। वहीं बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास 30 विधायक हैं। आगामी चुनावों से पहले इस तरह की अटकलें राजनीतिक समीकरणों को बदल सकती हैं।
शामिल होंगे या नहीं?
हालांकि, चम्पाई सोरेन ने साफ कहा है कि उन्हें अभी वही करना है जो वह कर रहे हैं और किसी भी बीजेपी नेता से मुलाकात की बात को उन्होंने आला दर्जे की अफवाह करार दिया। दिल्ली आना केवल एक पारिवारिक यात्रा थी, लेकिन इससे राजनीतिक जगत में खलबली मच गई है।
झारखंड की राजनीति में वैसे तो उठापटक लगी रहती है, लेकिन इस बार राजनीति में उठे इस बवंडर ने सबकी नजरें चम्पाई सोरेन और उन पाँच JMM विधायकों पर टिका दी हैं, जिनके नाम अजेंडे पर हैं। अब देखना यह होगा कि क्या झारखंड की यह राजनीतिक पटकथा आखिरकार क्या नया रंग लाती है।