भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार, 21 जनवरी 2025 को एक अप्रत्याशित गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 1,235.08 अंक गिरकर 75,838 पर बंद हुआ, जो इसकी कुल पूंजी का 1.6% था। वहीं, निफ्टी 320 अंक गिरकर 23,024 पर बंद हुआ। इस व्यापक गिरावट का मुख्य कारण विश्वव्यापी आर्थिक संकेतों का विपरीत होना माना जा रहा है। मुख्य रूप से, अमेरिकी पे रोल डेटा ने बाजार में तेजी से बदलाव का संकेत दिया, जिससे दुनिया भर में अमेरिकी डॉलर की स्थिति मजबूत हुई और बॉन्ड की दरें उच्च हो गईं। इस कारण से उभरते बाजारों की आकर्षण कम हुई।
विशेषज्ञों का मानना है कि जून 2025 में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर कटौती की संभावना कम होने के कारण यह रुझान उत्पन्न हुआ। इस से भारतीय बाजार पर तीव्र प्रभाव पड़ा। जोमाटो ने अपने दिसंबर तिमाही में साल-दर-साल 57% कामाई गिरने की रिपोर्ट दी, जिससे उसके शेयर में 10% की कमी देखी गई। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी पोर्ट्स, एनटीपीसी, और एसबीआई जैसे प्रमुख स्टॉक्स, प्रत्येक में करीब 2% की कमी आई।
इसके बावज़ूद, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, टाटा मोटर्स, एचसीएल टेक, और टेक महिंद्रा ने बाजार में कुछ सकारात्मकता प्रतिष्ठित की जबकि बाजार ने खुलने के साथ ही कुछ बढ़त दर्ज की। इसके बावजूद बाजार की कुल पूंजी से 4.54 लाख करोड़ रुपयों की कटौती हुई। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 4,336 करोड़ रुपये की विक्री की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 4,322 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिकी तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने की योजना की घोषणा की गई, जिससे एशियाई व्यापार में तेल की कीमतों में गिरावट हुई। ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 11 सेंट गिरकर $80.04 प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट मार्च अनुबंध का व्यापार $76.72 प्रति बैरल पर हुआ।
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की बढ़ोतरी के साथ 86.28 पर खुला, जो अमेरिकी डॉलर में मामूली उत्पात के बावजूद हुआ था। विश्लेषक विनोद नायर, जो जिओजित फाइनेंशियल सर्विसेज में रिसर्च के प्रमुख हैं, का कहना है कि विश्वव्यापी विक्रय का प्रभाव और मजबूत अमेरिकी पे रोल डेटा का प्रभाव भी उभरते बाजारों पर गंभीर रूप से देखा गया, जिससे यह विशाल गिरावट आई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कपाट और भारत में उच्च मुद्रास्फीति की वजह से भी बाजार में यह करेक्शन देखा गया। 2013 में भी एक समान रुझान देखे गए थे, जब वैश्विक आर्थिक घटनाओं ने भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित किया था।
अंततः, यह परिदृश्य निवेशकों के लिए एक चेतावनी है कि अनिश्चितता के समय में सावधानीपूर्वक योजना और रणनीति महत्वपूर्ण होती है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि निवेशकों को अब अपनी स्टॉक होल्डिंग्स की समीक्षा करनी चाहिए और बाजार में लम्बी अवधि के दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। निवेशकों को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और जरूरत के समय में दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समग्र रूप से, यह भारतीय शेयर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण समय साबित हो सकता है, जो इसे एक नई दिशा में धकेल सकता है।