विंबलडन 2024 में नोवाक जोकोविच और सेंट्रल कोर्ट की भीड़
विंबलडन 2024 में, नोवाक जोकोविच ने जब होल्गर रूने को चौथे राउंड में सीधे सेटों में हरा दिया, तो सेंट्रल कोर्ट की भीड़ ने उनके प्रति आदर नहीं दिखाया। यह घटना तब हुई जब दर्शक रूने के उपनाम को जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। जोकोविच, जो सात बार विंबलडन चैंपियन हैं, ने दर्शकों के इस व्यवहार पर आपत्ति जताई।
मैच खत्म होने के बाद, अपने ऑन-कोर्ट इंटरव्यू में जोकोविच ने उन प्रशंसकों का धन्यवाद किया जो उनके प्रति सम्मानजनक थे और बाकी लोगों को तंज़ करते हुए 'शुभ रात्रि' कहा। इस घटना ने सोशल मीडिया और टेनिस जगत में काफी चर्चा बटोरी।
जोकोविच का कहना था कि उन्होंने कभी दर्शकों के इस तरह के व्यवहार का सामना नहीं किया था और यह उनकी खेल भावना और मानसिकता को चुनौती देने वाला था। सीधा-सीधा यह कहना कि दर्शक उनके प्रति आदर नहीं दिखा रहे थे, उन्होंने इसे व्यक्तिगत रूप से लिया।
टेनिस दिग्गजों की राय
इस मामले पर टेनिस के बड़े नामों ने भी अपनी बातें साझा कीं। जेम्स ब्लेक, थॉमस इन्कविस्ट, ग्रेग रुसेडस्की, मार्कोस बगदातिस, और निक किर्गियोस ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी।
जेम्स ब्लेक ने कहा कि जोकोविच हमेशा से ही इस तरह के चैंट्स का इस्तेमाल अपनी ऊर्जा बढ़ाने के लिए करते आए हैं। उनके अनुसार, जब भी दर्शक उनके खिलाफ होते हैं, जोकोविच और ज्यादा प्रेरित हो जाते हैं और इसका फायदा उठाते हैं।
निक किर्गियोस ने भी इस पर चेतावनी दी कि दर्शकों को जोकोविच जैसे बड़े खिलाडी को और अधिक प्रेरणा देने से बचना चाहिए। उनके अनुसार, भीड़ का यह रवैया उनके खेल को और धारदार बना सकता है और वह और भी शानदार खेल दिखा सकते हैं।
मार्कोस बगदातिस ने भी जोकोविच की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने बड़े ही शांत और संयमित तरीके से इस स्थिति का सामना किया। टेनिस खेल में इस तरह की चुनौतियाँ आती रहती हैं और असली चैंपियन वह है जो इनके बावजूद अपने प्रदर्शन को बेहतरीन बनाए रख सके।
जोकोविच की रिकवरी और ग्रैंड स्लैम की दौड़
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब जोकोविच अपने फटे हुए मिनिस्कस से रिकवरी कर रहे हैं। इसके बावजूद, उन्होंने मैदान में अपनी मजबूती और समर्पण साबित किया। उनकी आवाजाही और खेल के तरीके में कोई कमी नजर नहीं आई।
जोकोविच इस समय अपने 25वें ग्रैंड स्लैम का लक्ष्य साध रहे हैं। वह टेनिस की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। उनका यह सफर और उनकी हिम्मत खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणास्पद है।
कुल मिलाकर, विंबलडन 2024 का यह मुकाबला सिर्फ एक खेल से कहीं ज्यादा था। यह मानव जीवन के संघर्ष, समर्पण और मानसिकता की एक कहानी है। इसने साबित किया कि असली चैंपियन वही है जो न केवल मैदान में बल्कि बाहर भी चुनौतियों का सामना कर सके।
खेल के इस महत्वपूर्ण समय में, जोकोविच की यह घटना हमें सिखाती है कि कैसे हमें अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए और कैसे अपने ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए।