क्या आप घर पर शीघ्र और शालीन पूजा करना चाहते हैं? सही पूजा विधि में सामग्री, क्रम और साफ़-सफ़ाई का ध्यान भर होता है। यहां एक व्यावहारिक, रोज़मर्रा के लिए उपयुक्त पूजा क्रम दिया गया है जिससे आप बिना उलझन के नियमित पूजा कर सकें।
सबसे पहले टेबल पर या पूजा थाल में ये बेसिक चीजें रखें — मूर्ति/चित्र, दीपक, अगरबत्ती/धूप, फल, नये पुष्प, तस्वीर के सामने का कप/जल, छोटी कटोरी में चावल या भोग, कलम और लाल/कुंकुम/विवि (यदि चाहिए)। छोटे घी या तेल का दीया और चेम्बर में लिफाफा रखने के लिए कपड़ा भी रखें।
1) स्थान और शुद्धि: पूजा स्थल साफ़ करें और अगर संभव हो तो वहां थोड़ी देर के लिए धूप-दीप जलाकर हवा साफ़ कर लें। मिट्टी/पत्थर की मूर्ति हो तो हल्का पानी छिड़ककर सुखा लें।
2) स्थापना: देव की मूर्ति या तस्वीर को साफ कपड़े पर रखें। सामने छोटा रखा जल पात्र रखें ताकि स्नान या अभिषेक संभव हो।
3) अभिवादन और प्रणाम: अपनी मनोकामना मन में रखें, हाथ जोड़कर देव को प्रणाम करें। आप सरल मंत्र जैसे "ॐ गं गणपतये नमः" (गणपति की आरती से पहले) या "ॐ नमः शिवाय" का जाप कर सकते हैं।
4) दीप और धूप: दीपक जलाएं, अगरबत्ती/धूप दें। दीया सुरक्षित स्थान पर रखें और कभी भी अनियंत्रित न छोड़ें। दीप जला कर आप वातावरण में ध्यान और एकाग्रता लाते हैं।
5) भोग-अर्पण: फल, फूल और हल्का पकवान भोग के रूप में रखें। चावल या रोली/कुंकुम से तिलक करें और भोग चढ़ाएं। यदि मिठाई दे रहे हैं तो बाद में परिवार में बांट दें।
6) मंत्र और आरती: अपने मनपसंद छोटे मंत्र 3-11 बार जपें। फिर चित्र/मूर्ति के सामने आरती करें या चलाकर लाएँ। आरती के बाद थाली में से दीप और अगरबत्ती की परिक्रमा करें।
7) समापन और प्रसाद वितरण: प्रणाम कर के पूजा समाप्त करें। भोग प्रसाद के रूप में परिवार में बांटें। बचे हुए भोग को खुले में नहीं फेंके; मिट्टी में समर्पित करके या कुएं में डालना बेहतर है।
छोटी-छोटी आदतें ध्यान रखें — ताज़े फूल दें, जले हुए दीये की राख साफ रखें और इलेक्ट्रिक उपकरणों को नज़दीक न रखें। अगर समय कम हो तो सिर्फ दीप-जलाना, एक छोटा मंत्र और तिलक भी पर्याप्त है।
यदि कोई त्यौहार या बड़ा समारोह है तो विशेष विधि और मंत्र अलग होते हैं; तब पुजारी या अनुभवी व्यक्ति से मार्गदर्शन लें। रोज़ाना की ये सरल पूजा विधि आपको अनुशासन देगी और मन को शांति देगी।
टिप्स: सुबह या संध्या का समय अच्छा माना जाता है। ध्यान रखें कि जहरीले धुएँ से बचें — घर में बच्चों या बुजुर्ग हों तो धूप-दीप में कम देर रखें। सुरक्षित और नियमित पूजा सबसे ज़्यादा फलदायी रहती है।