अक्सर दाखिले के समय कॉलेज या स्कूल की फीस देखकर Confused हो जाते हैं। फीस सिर्फ 'ट्यूशन' नहीं होती — इसमें प्रवेश, विकास, प्रयोगशाला, परीक्षा, लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स, और कभी-कभी स्मार्ट क्लास या तकनीक चार्ज भी जुड़े होते हैं। सही तरीके से फीस स्ट्रक्चर पढ़ना आपको अनचाहे खर्चों से बचाता है।
पहली आसान बात: हर शुल्क का नाम और अवधि देखें — वार्षिक या सेमेस्टर-वाइज? किसमें refundable security शामिल है? क्या फीस में टैक्स (GST) शामिल है या अलग से लिया जाएगा? ये तीन सवाल हर फीस पेज पर तुरंत पूछें।
यहाँ सामान्य घटक हैं जिन पर ध्यान दें:
जब संस्थान फीस सूची दे रहा हो, तो मांगें कि एक PDF या लिखित ब्रेकडाउन दें। मौखिक वादे पर भरोसा न करें।
पैसे बचाने के कुछ ठोस तरीके ये हैं — सीधे, आजमाए हुए और काम आने वाले:
अगर फीस बहुत अलग-सी लग रही हो तो संबंधित विभाग से लिखित स्पष्टीकरण मांगें। राज्य और केंद्रीय नियामक जैसे UGC, AICTE और स्कूल बोर्डों के नियमों के अनुसार संस्थान शुल्क वसूलते हैं — अनियमितता दिखे तो शिक्षा विभाग या फीस रेगुलेटर से शिकायत करें।
अंत में, निर्णय लेने से पहले कुल वार्षिक खर्च (हॉस्टल-खाना-ट्रांसपोर्ट सहित) का कैलकुलेशन करें। केवल नामी-उपनाम देखकर फैसला मत लीजिए — असली तस्वीर खर्च के ब्रेकडाउन में छुपी होती है। यही छोटी सावधानी बड़ी बचत दिला सकती है।