बेफिक्र रहने का मतलब भागना या सब छोड़ना नहीं होता। असल में यह रोज़ के छोटे फैसलों और आदतों से बनता है। अगर आप तनाव कम करना चाहते हैं और खुश रहने की दिशा में कदम उठाना चाहते हैं, तो ये सरल सुझाव तुरंत लागू कर सकते हैं।
पहला कदम: रोज़ सुबह 5 मिनट की सादगी से शुरू करें। आंखें खोलते ही फोन न छुएं। एक गहरी सांस लें — 4 सेकंड अंदर, 4 सेकंड रोकेin, और 4 सेकंड बाहर छोड़ें। यह बॉक्स ब्रेथिंग मन शांत करने में असर दिखाती है।
दूसरा कदम: हर दिन तीन प्राथमिक काम तय करें। सुबह तय कर लें कि आज कौन-से तीन काम सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। छोटे लक्ष्य तय करने से दिमाग कम भटकता है और दिन बेफिक्र चलता है।
तीसरा कदम: 'न' कहना सीखें। हर बार सभी बातों को हाँ कहने से ओवरलोड होता है। प्राथमिकता तय करें और जरूरी नहीं तो मना कर दें।
नींद पर ध्यान दें — रोज़ कम से कम 7 घंटे कोशिश करें। नींद कम होगी तो चिंता बढ़ेगी और सब भारी लगेगा। सोने से पहले स्क्रीन कम करें; फोन को बेडरूम से बाहर रखें या रात का डार्क मोड और नाइट शेड्यूल लगाएँ।
हिलना-डुलना ज़रूरी है — रोज़ 20-30 मिनट तेज़ चलना, स्ट्रेच या हल्की एक्सरसाइज़ करें। ये सिर्फ फिट रखने में मदद नहीं करते, मूड भी तुरंत बेहतर कर देते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स लगाएँ — हफ्ते में एक शाम या एक पूरा दिन बिना सोशल मीडिया के बिताएं। फोन पर नोटिफिकेशन सीमित करें। इससे दिमाग को ठहराव मिलता है और आप छोटे-छोटे पलों का आनंद उठा पाएँगे।
पैसों का बेसिक प्लान रखें — तीन महीने का इमरजेंसी फंड, मासिक बजट और छोटे-छोटे निवेश। अनिश्चितता कम होगी तो मानसिक तौर पर भी हल्का महसूस होगा।
रिश्तों में साफ़ बातचीत रखें। छोटे मुद्दों को टालने से बड़ा तनाव बनता है। आसान भाषा में बात करें और सीमाएँ तय करें — इससे अनावश्यक दबाव खत्म हो जाता है।
इन आदतों को एक साथ अपनाने की कोशिश न करें। हफ्ते में एक नई आदत जोड़ें और उसे तीन हफ्ते तक लगातार करें। जब एक आदत जड़ पकड़ ले, तब अगली जोड़ें। छोटे कदम लंबे समय में बड़ा फर्क लाते हैं।
अगर आप बस एक चीज आज कर सकें, तो फोन को सोते वक्त दूर रखें और सुबह 5 मिनट शांति में बैठकर सांस लें। आप फर्क महसूस करेंगे — थोड़ी सी सादगी और नियम ही बेफिक्र जीवन की चाबी हैं।