बच्चों का अधिकार सिर्फ कानूनी शब्द नहीं है—यह उनका जीने, सीखने और सुरक्षित रहने का हक है। भारत में 18 साल से कम उम्र के सभी लोगों को बालक या बालिका माना जाता है और उनके लिये कई कानून और योजनाएँ हैं। अगर आप माता-पिता, शिक्षक या पड़ोसी हैं तो यह जानना ज़रूरी है कि बच्चे किस-किस अधिकार के हकदार हैं और खतरा दिखने पर तुरंत क्या करना चाहिए।
बच्चे का अधिकार कई हिस्सों में आता है: सुरक्षित जीवन और शारीरिक सुरक्षा, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (RTE), स्वास्थ्य सेवाएँ, पोषण, आश्रय और शोषण से बचाव। पोक्सो (POCSO) कानून यौन शोषण से बचाने के लिए है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट बच्चे-विषयक मामलों में उनकी सुरक्षा और पुनर्वास का ध्यान रखता है। सरकारी योजनाएँ जैसे ICDS और स्कूलों के माध्यम से बच्चों को भोजन व पढ़ाई मिलती है।
याद रखें: अधिकार तभी मायने रखते हैं जब उन्हें लागू किया जाए। इसलिए अगर कोई बच्चा खतरे में दिखे तो चुप न रहें।
पहला कदम—सुरक्षा। बच्चे को सुरक्षित जगह पर ले जाएँ। चोट या शारीरिक नुकसान लगे हों तो डॉक्टर दिखाएँ और मेडिकल रिपोर्ट रखें। दूसरी बात—रिपोर्ट करें। आप 24 घंटे उपलब्ध चाइल्डलाइन 1098 पर कॉल कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय आपात सेवा है जो तत्काल हस्तक्षेप कराती है।
यदि मामला यौन शोषण का है तो POCSO के तहत पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराएँ। स्कूल या आश्रयवाले संस्थान में मुद्दा हो तो प्रिंसिपल और स्थानीय बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) को लिखित शिकायत दें। सरकारी पोर्टल और NCPCR के माध्यम से भी शिकायत की जा सकती है।
सबूत संभालें: अगर संभव हो तो संदेश, फोटो या गवाहों की जानकारी रखें। लेकिन बच्चे को और ज़्यादा ट्रॉमा से बचाने के लिए संवेदनशील रहें—बच्चे से सवाल बेहद सरल और सम्मानजनक टोन में पूछें।
किसी NGO की मदद लें—बहुत सी स्थानीय संस्थाएँ कानूनी सलाह, थेरपी और अस्थायी आवास देती हैं। सरकारी योजनाएँ और न्यायिक प्रक्रिया समय ले सकती है, इसलिए शुरू में भावनात्मक और मेडिकल मदद तुरंत दिलवाना फायदेमंद रहता है।
माता-पिता के लिये सुझाव: बच्चों से नियमित बातचीत रखें, उनकी ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखें, और उन्हें अपने शरीर व हदों के बारे में सिखाएँ। स्कूलों में सेफ्टी पॉलिसी, शिक्षक-छात्र अनुपात और शिकायत तंत्र चेक करें।
समाज की भूमिका भी अहम है—अगर किसी पड़ोस या गांव में बच्चों के साथ अनुचित बर्ताव दिखे तो सामुदायिक हस्तक्षेप से स्थिति सुधर सकती है। चुप्पी बच्चे के नुकसान को बढ़ाती है।
अंत में—यदि आप तय नहीं कर पा रहे कि क्या करना चाहिए, तो 1098 पर कॉल करें या नज़दीकी पुलिस स्टेशन में सहायता मांगे। छोटे कदम अक्सर बड़े बदलाव की शुरुआत होते हैं। बच्चों का अधिकार बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।