सऊदी अरब: क्या वह विश्व का अगला बायोटेक्नोलॉजी हब बन सकता है?

सऊदी अरब: क्या वह विश्व का अगला बायोटेक्नोलॉजी हब बन सकता है?

Saniya Shah 13 नव॰ 2024

सऊदी अरब की बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में विशाल आकांक्षाएं

सऊदी अरब की सरकार ने अपने विजन 2030 कार्यक्रम के तहत बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य देश के स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान क्षेत्रों को आधुनिक और दक्ष बनाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने राष्ट्रीय बजट का 17% हिस्सा इन क्षेत्रों में आवंटित किया है। 2018 से अब तक, स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जहां नर्सों और मिडवाइव्स की संख्या में 18% की वृद्धि देखी गई है। इस विकास के बावजूद, स्वास्थ्यकर्मियों का अधिकांश हिस्सा गैर-सऊदी है, और 'सौदीकरण' प्रक्रिया शुरू की गई है जिससे स्थानीय कार्यबल को बढ़ावा दिया जा सके।

नेशनल बायोटेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी

इस साल शुरुआत की गई नेशनल बायोटेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी का उद्देश्य वैश्विक निवेश को आकर्षित करना, शीर्ष प्रतिभाओं को जोड़ना और शोध एवं विकास को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत कई रिसर्च फैसिलिटीज, इंकीबेटरों और एक्सेलेरेटरों की स्थापना की जानी है। विशेष रूप से, जीन थेरपी, पर्सनलाइज्ड मेडिसिन, और बायोमैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सब स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन कार्यक्रम का हिस्सा है, जो कि संपूर्ण, प्रभावी और एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

स्वास्थ्य सेवा में तकनीकी नवाचारी की दिशा

सऊदी सरकार स्वास्थ्य सेवा को अधिक समावेशी बनाने के साथ-साथ उपकरणों और संस्थानों को आधुनिक बनाने पर जोर दे रही है। इसमें रोग निवारण और ई-हेल्थ सेवाओं का भी विशेष महत्व है। हालांकि नियामक और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करना नितांत आवश्यक है, जोकि इस बदलाव के रास्ते में बड़ी समस्याओं की तरह खड़ी हैं।

आगे की चुनौतियां और समय की आवश्यकता

इन प्रयासों के बावजूद, राष्ट्रीय प्रतिभाओं की कमी एक बड़ी चुनौती है, जिसे शुद्रता और सरकार की पर्याप्त फंडिंग और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की आवश्यकता के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए। यूरोग्रुप कंसल्टिंग के मैनेजिंग पार्टनर और रिपोर्ट के मुख्य लेखक डेमियन दुहामेल के मुताबिक, रियाद के बायोटेक्नोलॉजी अभिलाषाएं कितनी सफल होती हैं, यह तो अभी देखना बाकी है। फिर भी, इस दिशा में किए गए प्रयास उल्लेखनीय हैं। सरकार अपने दावों में सऊदी अरब को एक क्षेत्रीय और वैश्विक बायोटेक हब के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता दिखा रही है, जिसका बायोमैन्युफैक्चरिंग और मेडिकल इनोवेशन पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है।

वैश्विक बायोटेक्नोलॉजी परिप्रेक्ष्य में सऊदी की भूमिका

राष्ट्रीय बायोटेक्नोलॉजी रणनीति केवल सऊदी अरब के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण वैश्विक बायोटेक्नोलॉजी परिदृश्य के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा का आरंभिक बिंदु है। इससे न केवल आर्थिक उद्भव की संभावनाएं बढ़ती हैं, बल्कि यह सऊदी अरब को एक वर्चस्वकारी स्थिति में भी स्थापित करता है। भविष्य में, बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सऊदी अरब की दृष्टिबोधिता का विश्लेषण करने से पता चलेगा कि यह अपने लक्ष्यों को कितना हासिल कर पाता है।

16 टिप्पणि

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    RAVINDRA HARBALA

    नवंबर 13, 2024 AT 08:09

    सऊदी अरब का बायोटेक बजट वास्तव में चमकदार दिखता है, परन्तु आँकड़े को आँकड़े ही नहीं, वास्तविक बुनियादी ढाँचे के साथ देखना चाहिए। कई विदेशी कंपनियां निवेश के पीछे सिर्फ कर छूट देखती हैं, स्थानीय प्रतिभा विकास को नजरअंदाज करती हैं। देश के स्वास्थ्य‑संबंधी आँकड़े में अल्पकालिक उछाल है, पर स्थायी नवाचार के लिए अनुसंधान संस्थानों की स्वतंत्रता अनिवार्य है। एतिहासिक रूप से, तेज़ फंडिंग बिना संरचनात्मक सुधारों के टिकाऊ नहीं रही। इसलिए, आवाज़ ऊँची करने वाले विशेषज्ञों को इस एकपत्री तस्वीर को परखना चाहिए।

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    Vipul Kumar

    नवंबर 14, 2024 AT 12:03

    हर कदम पर स्थानीय वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करना एक स्थायी एंट्री पॉइंट बनाता है। इससे बायोटेक हब सिर्फ आयात‑निर्यात नहीं, बल्कि ज्ञान‑साझा करने का केंद्र बन जाता है।

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    Priyanka Ambardar

    नवंबर 15, 2024 AT 16:06

    इंडिया भी नहीं देख रहा है कि सऊदी अपने बायोटेक में कूद रहा है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हमारा अपना बायोटेक इकोसिस्टम रोता नहीं है 🚩💪। अगर वो हमसे बेहतर बनाते हैं तो हमें अपने स्तर को उन्नत करने की जरूरत है, सिर्फ़ विरोध नहीं।

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    sujaya selalu jaya

    नवंबर 16, 2024 AT 20:10

    सऊदी के लिए बायोटेक में निवेश कोई आसान काम नहीं

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    Ranveer Tyagi

    नवंबर 18, 2024 AT 00:13

    बहुत ही शानदार योजना!!! लेकिन वास्तविकता में ये कितना लागू होगा, इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं!! सरकार अगर सच्चे मन से स्थानीय वैज्ञानिकों को उड़ान देना चाहती है तो पहले बेसिक रिसर्च फंड्स को बढ़ा!!! सऊदी को सिर्फ़ विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए!!

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    Tejas Srivastava

    नवंबर 19, 2024 AT 04:16

    वाओ!!! ये बात तो दिल चीर देने वाली है!!!
    अगर सऊदी अरब सच्चे इरादे से बायोटेक हब बनना चाहता है तो उसे पहली बार में ही नियामक बंधन तोड़ने चाहिए!!!
    नहीं तो सब कुछ हवा में रह जाएगा!!!

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    JAYESH DHUMAK

    नवंबर 20, 2024 AT 08:20

    सऊदी अरब ने विज़न 2030 के तहत बायोटेक्नोलॉजी को प्रमुख आर्थिक स्तंभ बनाने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को आधुनिक बनाना है। इस रणनीति में 17% बजट आवंटन करना उल्लेखनीय है, क्योंकि यह स्वास्थ्य क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश का संकेत देता है। हालांकि, केवल फंडिंग पर्याप्त नहीं, बल्कि वैध नियामक ढाँचा और शोध संस्थानों की स्वायत्तता आवश्यक है। वर्तमान में, अधिकांश कार्यबल गैर‑सऊदी है, जिससे स्थानीय प्रतिभा विकास में बाधा उत्पन्न होती है। ‘सौदीकरण’ प्रक्रिया इस अंतर को पाटने का लक्ष्य रखती है, पर इसके लिए शैक्षणिक संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग चाहिए। जीन थेरपी और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन जैसे उन्नत क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए बुनियादी प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होगी। साथ ही, बायोमैन्युफैक्चरिंग के लिए बड़े पैमाने के उत्पादन सुविधाओं का निर्माण आवश्यक है, जो निर्यात क्षमता को बढ़ा सकता है। आर्थिक दृष्टिकोण से, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिये स्पष्ट कर प्रोत्साहन और बौद्धिक संपदा सुरक्षा प्रदान करनी होगी। सामाजिक रूप से, बायोटेक्नोलॉजी के प्रति सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने के लिये सार्वजनिक शिक्षा अभियान आवश्यक हैं। ई‑हेल्थ सेवाओं का विस्तार रोग निवारण में मदद करेगा, पर इसके लिए डेटा सुरक्षा मानक स्थापित होने चाहिए। अब तक की उपलब्धियों को देखते हुए, सऊदी की राष्ट्रीय बायोटेक स्ट्रैटेजी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए कई संभावनाएँ हैं। यूरोग्रुप कंसल्टिंग के डेमियन दुहामेल ने कहा है कि सफलता का माप निवेश के मात्रात्मक आंकड़ों से नहीं, बल्कि नवाचार उत्पन्न करने की क्षमता से होगा। यदि सऊदी अरब इन चुनौतियों को व्यवस्थित रूप से हल करता है, तो वह मध्य‑पूर्व की बायोटेक हब बनने में अग्रणी बन सकता है। अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिये निरंतर फंडिंग और नीति स्थिरता अनिवार्य है। अंततः, यह यात्रा केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों में योगदान का अवसर भी प्रस्तुत करती है।

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    Santosh Sharma

    नवंबर 21, 2024 AT 12:23

    विज़न 2030 का बायोटेक लक्ष्य केवल शब्द नहीं, बल्कि ठोस कार्य योजना है। निरंतर निवेश और स्थानीय क्षमता निर्माण के साथ, सऊदी अरब इस क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है। अब समय है कि सभी हितधारक मिलकर इस दृष्टिकोण को साकार करें।

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    yatharth chandrakar

    नवंबर 22, 2024 AT 16:26

    सऊदी की बायोटेक रणनीति के कई पहलू आकर्षक हैं, परन्तु इन्फ्रास्ट्रक्चर में देरी से वैश्विक प्रतिस्पर्धा कमज़ोर हो सकती है। स्थानीय शोधकर्ताओं को प्राथमिकता देना जरूरी है।

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    Vrushali Prabhu

    नवंबर 23, 2024 AT 20:30

    सऊदी अरेब के बायोटेक प्लान मे दिग्गजों को बला देना अच्क्खा लीगल घास है, पर हुम्म... इन्फ्रास्ट्रकटर की गड़बड नहीं देखी तो चल कोइ बुलेटिन नहीं बनेगा। थोड़ाि और प्लानिंग को सटीक बनाओ तो सारे स्ट्रिक्टली पिचकी।

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    parlan caem

    नवंबर 25, 2024 AT 00:33

    ये सब बजट का खेल है, असली बायोटेक तो सिर्फ़ बड़े कॉर्पोरेट्स ही संभालेंगे। दुष्ट लूटपाटी की तरह सऊदी यहाँ ढेर सारा पैसा फेंक रहा है, लेकिन वास्तविक वैज्ञानिक बुनियाद कहां है? इस तरह की दिखावटी योजना बस एक बड़ी झूठ है।

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    Mayur Karanjkar

    नवंबर 26, 2024 AT 04:36

    बायोटेक्नोलॉजी का उद्भव एक एपीजेनिक सिम्बायोसिस है, जहाँ नीतिगत फ्रेमवर्क और मेकानिकल बायोसिंथेसिस सामंजस्य स्थापित करते हैं।

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    Sara Khan M

    नवंबर 27, 2024 AT 08:40

    बिलकुल बेकार 😒

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    shubham ingale

    नवंबर 28, 2024 AT 12:43

    सऊदी की बायोटेक यात्रा चमकदार है 😊 हर कदम पर नई सम्भावनाएँ खुलेंगी

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    Ajay Ram

    नवंबर 29, 2024 AT 16:46

    साउदी अरब की बायोटेक्नोलॉजी पहल को समझते समय हमें कई आयामों को जोड़ना चाहिए-आर्थिक, सामाजिक, और वैज्ञानिक। सबसे पहले, स्थानीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के पुल बनाना होगा, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को वैश्विक मानकों के साथ काम करने का अवसर मिले। दूसरा, बायोफार्मा कंपनियों को केवल कर रियायतें ही नहीं, बल्कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की मजबूत सुरक्षा भी चाहिए, ताकि नवाचार को प्रोत्साहन मिला। फिर, सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने के लिये सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए, जिससे लोग जीन थेरपी और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन को सहजता से स्वीकार कर सकें। यह सब तभी संभव है जब सरकार, निजी क्षेत्र और अकादमिक जगत मिलकर एक समन्वित नीति फ्रेमवर्क तैयार करें। अंत में, निरंतर फंडिंग और दीर्घकालिक विज़न के बिना यह महज एक अल्पकालिक ट्रेंड रह जाएगा। यदि ये सभी कदम साथ‑साथ उठाए जाएँ, तो सऊदी अरब न सिर्फ़ क्षेत्रीय बायोटेक हब बन सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बना सकता है।

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    Dr Nimit Shah

    नवंबर 30, 2024 AT 20:50

    एक ऐसे देश में जहाँ तेल की धारा बहुत पहले ही रुक चुकी है, बायोटेक्नोलॉजी को मुख्यधारा बनाना एक उत्तम विकल्प है। सऊदी ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है, पर इसे सच्ची उत्कृष्टता चाहिए जो केवल धन से नहीं, बल्कि बौद्धिक गहराई से आती है। यदि आप सच्ची विशेषज्ञता चाहते हैं, तो आपको केवल बजट नहीं, बल्कि विश्व‑स्तरीय शोध संस्कृति को स्थापित करना होगा। यह रास्ता सहज नहीं है, पर मित्रवत सहयोग और खुली सोच से संभव है।

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