नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सौर्य एयरलाइंस के एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 18 लोगों की मौत हो गई है। यह घटना 24 जुलाई 2024 को हुई जब विमान, जो पोखरा के लिए उड़ान भर रहा था, टेकऑफ के दौरान रनवे से नीचे उतरकर आग की चपेट में आ गया। इस हादसे में केवल पायलट ही जीवित बचा है जिसे इलाज के लिए निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे का वक्त और कारण
सौर्य एयरलाइंस का यह विमान, मॉडल Mitsubishi CRJ-200ER, सुबह के समय उड़ान भरने की तैयारी कर रहा था। Tribhuvan International Airport (TIA) के प्रवक्ता सुभाष झा के अनुसार, यह घटना तब हुई जब विमान टेकऑफ के समय रनवे से नीचे उतर गया। इस वजह से विमान में आग लग गई और देखते ही देखते विमान लपटों में घिर गया।
फायर ब्रिगेड और आपातकालीन सेवाओं ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आग पर काबू पाया और तुरंत बचाव अभियान शुरू किया। हालाँकि, 18 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। हादसे की तुरंत जांच शुरू कर दी गई है और दुर्घटना के पीछे के कारणों की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
नेपाल की विमानन सुरक्षा और समस्याएँ
नेपाल की विमानन सुरक्षा की स्थिति पहले से ही चिंताजनक रही है। यूरोपीय संघ ने सुरक्षा कारणों के चलते सभी नेपाली एयरलाइंस को अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। देश की धरातलीय परिस्थितियाँ और मौसम की तेजी से बदलती स्थिति उड़ानों के लिए खतरा पैदा करती हैं।
नेपाल का विमानन इतिहास भी हादसों से भरा रहा है। जनवरी 2023 में भी यति एयरलाइंस की एक फ्लाइट पोखरा के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें सभी 72 लोगों की मौत हो गई थी। मई 2022 में तारा एयर का एक विमान मस्टंग के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें 22 लोगों की जान गई थी। इसी प्रकार 2018 में US-बंगला एयरलाइंस की एक फ्लाइट त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई थी।
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
नेपाल की विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए अभी भी कई कदम उठाए जाने की जरूरत है। खासकर हवाई अड्डों की इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और पायलटों एवं स्टाफ के ट्रेनिंग पर ज्यादा जोर देने की आवश्यकता है।
सरकार और विमानन नियामकों को मिलकर ऐसे नियम और सुरक्षा मानक बनाना चाहिए जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही, मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों को और अधिक उन्नत और सटीक बनाने की आवश्यकता है, ताकि पायलट और एयरलाइंस समय रहते खराब मौसम का अनुमान लगा सकें।
इसके अलावा, नेपाल की पहाड़ी इलाकों में बने हवाई अड्डों के रनवे को और मजबूत बनाया जाना चाहिए, ताकि टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत
नेपाल की विमानन सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सहयोग की भी आवश्यकता है। यूरोपीय संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठनों को नेपाल के विमानन सेक्टर के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
ऐसी घटनाओं से न सिर्फ देश की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है, बल्कि यात्री सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं। नेपाल में दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह समय की मांग है कि विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
अंतत: हमें यह समझना होगा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे प्राथमिक है और इसके लिए हमें हरसम्भव उपाय करने होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार और नियामक इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे और भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकेंगे।