सुप्रीम कोर्ट में NEET UG 2024 परीक्षा पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह NEET UG 2024 की परीक्षा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई की। ये याचिकाएँ मुख्यतः परीक्षा में कथित अनियमितताओं और पेपर लीक की घटनाओं पर केंद्रित थीं। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और केंद्र सरकार एवं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से विस्तृत जानकारी मांगी।
पेपर लीक की घटनाएं और सोशल मीडिया की भूमिका
कोर्ट ने NTA और केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या सच में सोशल मीडिया के माध्यम से पेपर लीक हुआ। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अगर यह साबित होता है कि परीक्षा की ईमानदारी प्रभावित हुई है, तो फिर से परीक्षा आयोजित की जा सकती है। यह फैसला लाखों छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी।
NTA का पक्ष
NTA ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा रद्द करना लाखों ईमानदार प्रतिभागियों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने यह भी सूचित किया कि डेटा सुरक्षा और परीक्षा सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें देगी। NTA की इस पहल का उद्देश्य परीक्षा के समग्र प्रबंधन और सुरक्षा को और मजबूत बनाना है।
पीड़ित छात्रों की अपील
लगभग 50 योग्य छात्रों, जिसमें टॉप रैंकिंग हासिल करने वाले प्रतिभागी भी शामिल हैं, ने याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वे परीक्षा रद्द न करें और शिक्षा मंत्रालय से निम्नलिखित मांगे की जांच करें और इस मामले में लगे दोषियों को दंडित करें। इन छात्रों का तर्क है कि परीक्षा रद्द होने से उनके प्रयास और मेहनत व्यर्थ हो जाएंगे।
परिणाम और संभावनाएं
कोर्ट ने फिलहाल मामले को स्थगित कर दिया है और अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। इस बीच, छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच अनिश्चितता का माहौल है। यह देखा जाना बाकी है कि अदालत का अंतिम निर्णय क्या होगा और इसका छात्रों के भविष्य पर क्या असर होगा। यह निर्णय न केवल मौजूदा परीक्षार्थियों बल्कि भविष्य में होने वाली परीक्षाओं के लिए भी नजीर साबित हो सकता है।
यह मामला स्पष्ट रूप से हाईलाइट करता है कि परीक्षा के दौरान डेटा सुरक्षा और ईमानदारी सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है। यदि कोई पेपर लीक होता है, तो यह न केवल परीक्षा की प्रामाणिकता को खतरे में डालता है बल्कि उन लाखों मेहनती छात्रों की भावनाओं को भी प्रभावित करता है जिन्होंने परीक्षा की तैयारी में महीने और साल लगाए होते हैं।
जैसे-जैसे न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णायक कदम उठाता है। यह केस परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता के प्रति अधिकारियों की प्रतिबद्धता को भी परखेगा।