Cognizant का विवादास्पद वेतन प्रस्ताव
हाल ही में Cognizant ने नए स्नातकों के लिए ₹2.52 लाख प्रतिवर्ष वेतन का प्रस्ताव रखा है, जिसने सोशल मीडिया पर भारी आलोचना को जन्म दिया है। इस प्रस्ताव को Cognizant के ऑफ-कैंपस भर्ती अभियान का हिस्सा बताया गया है, जो उन उम्मीदवारों को लक्षित करता है जिनके पास तीन साल की पूर्णकालिक डिग्री है। हालांकि, वेतन प्रस्ताव ने नए स्नातकों के बीच गंभीर असंतोष पैदा किया है, जो इसे मेट्रो शहरों में जीवन यापन के लिए अपर्याप्त मानते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इस प्रस्ताव की खूब चर्चा हो रही है। कुछ उपयोगकर्ताओं ने यह कहते हुए मज़ाक उड़ाया कि इस वेतन से तो केवल गाँव में एक साल की किराया और कुछ मैगी के पैकेट ही खरीदे जा सकते हैं। ₹20,000 प्रति माह का वेतन, भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा इंजीनियरिंग स्नातकों को दिए जाने वाले औसत वेतन ₹3.5 लाख से ₹4 लाख प्रतिवर्ष के मुकाबले काफी कम है। कुछ उपयोगकर्ताओं ने अपनी टिप्पणियों में इसे अपने ड्राइवरों की आय से भी तुलना की।
आईटी सेक्टर में वेतन की स्थिति
यह विवाद आईटी सेक्टर में प्रवेश-स्तरीय वेतन की स्थिति पर बहस को फिर से जीवित कर दिया है। कई लोग इंडस्ट्री की दिशा पर सवाल उठा रहे हैं। Cognizant द्वारा प्रदान किए गए वेतन के विरोध में, प्रतिद्वंद्वी कंपनी Wipro ने अपना वर्क इंटिग्रेटेड लर्निंग प्रोग्राम 2024 पेश किया है, जो BCA और B.Sc छात्रों को चार साल की अवधि में धीरे-धीरे बढ़ते हुए भत्ते की पेशकश करता है, जिसकी शुरुआत ₹2.6 लाख प्रतिवर्ष से होती है। हालांकि, इस पैकेज में एक पेनल्टी क्लॉज़ भी शामिल है, जिसमें प्रशिक्षण अवधि पूरी करने से पहले छोड़ने पर ₹75,000 का भुगतान करना पड़ता है।
मूलभूत जीवन खर्चों की चुनौती
इस प्रकार के वेतन प्रस्ताव न केवल नए स्नातकों के बीच असंतोष पैदा कर रहे हैं, बल्कि मेट्रो शहरों में जीवन यापन के खर्चों को भी उजागर कर रहे हैं। कई नए स्नातक मानते हैं कि इस वेतन से बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल है। घर का किराया, खाना, यात्रा खर्च और अन्य आवश्यकताएं, सभी मिलाकर यह वेतन काफी नहीं है। इस प्रकार के मुद्दे आईटी सेक्टर और नए स्नातकों के बीच समानता और संतुलन के सवाल उठाते हैं।
सोशल मीडिया पर चल रही बहस ने यह भी दर्शाया कि उद्योग द्वारा मुनाफे को प्राथमिकता देने के कारण नए कर्मचारियों की अनदेखी हो रही है। यह विवाद कंपनी की छवि और ब्रांड पर भी प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर उन युवाओं के बीच जो अपने करियर की शुरुआत Cognizant जैसे प्रतिष्ठित कंपनियों से करना चाहते हैं।
आईटी इंडस्ट्री में प्रवेश-स्तरीय वेतन को लेकर चल रही इस बहस और उसे लेकर उठे सवालों को देखते हुए, यह जरूरी है कि कंपनियां अपने वेतन संरचना पर पुनर्विचार करें और यह सुनिश्चित करें कि वे अपने कर्मचारियों को उचित वेतन दे रही हैं, जो न केवल उनके जीवन यापन के खर्च को पूरा कर सके, बल्कि उन्हें वित्तीय संतुलन भी प्रदान कर सके।