मंकीपॉक्स: वैश्विक स्वास्थ्य संकट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। यह निर्णय वैश्विक स्वास्थ्य की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है क्योंकि मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वैज्ञानिक और स्वास्थ्य अधिकारी इस विषाणु के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अब तक, 2022 से 116 देशों में 99,176 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 208 मौतें दर्ज की गई हैं।
भारत की स्थिति और तैयारी
भारत सरकार इस वैश्विक महामारी के खतरों को ध्यान में रखते हुए, देश में मंकीपॉक्स की स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। अब तक, देश में 30 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में केरल में पाया गया था। भारतीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अधिकारियों से मिलने का निर्णय लिया है ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके और आवश्यक सावधानियों को मजबूत किया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को नोडल सेंटर के रूप में नामित किया है जहाँ मंकीपॉक्स के मामलों का पृथक्करण, उपचार और प्रबंधन किया जाएगा। इसके अलावा, सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अस्पतालों को मंकीपॉक्स के मामलों को संभालने के लिए तैयार रखें। देशभर में 32 परीक्षण प्रयोगशालाएं इस विषाणु के परीक्षण के लिए सुसज्जित की गई हैं।
बढ़ती सतर्कता और अंतरराष्ट्रीय प्रवेश बिंदुओं पर जांच
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय प्रवेश बिंदुओं जैसे हवाई अड्डों और समुद्री बंदरगाहों पर सतर्कता बढ़ाने के लिए परामर्श जारी किए हैं। इसका उद्देश्य मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों का प्रबंधन करना और उन्हें उचित इलाज प्रदान करना है। इसमें पृथक्करण और उपचार मार्गदर्शिकाओं के प्रोटोकॉल शामिल हैं।
वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति
वैश्विक स्तर पर, मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और विभिन्न देशों में इसके प्रसार को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। यूरोपीय रोग रोकथाम और नियंत्रण केंद्र (ECDC) ने स्वीडन में पाए गए एक नए प्रकार के कारण अपने जोखिम आकलन को 'मध्यम' कर दिया है। हालांकि, WHO ने यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने की सलाह नहीं दी है।
यह स्पष्ट है कि भारत में मंकीपॉक्स के मामले अभी सीमित हैं, और भारतीय अधिकारियों का मानना है कि बड़ी मात्रा में प्रसार का खतरा कम है। फिर भी, सतर्कता बनाए रखना और स्वास्थ्य सेवाओं को सुसज्जित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि इस विषाणु का प्रभावी रूप से मुकाबला किया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय का ध्यान प्रमुख रूप से निगरानी बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मंकीपॉक्स के लक्षणों और प्रोटोकॉल की जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हर कोई इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तैयार और सक्षम हो।