क्या असदुद्दीन ओवैसी को 'जय पलेस्टीन' नारे के लिए लोकसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता है?

क्या असदुद्दीन ओवैसी को 'जय पलेस्टीन' नारे के लिए लोकसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता है?

Saniya Shah 26 जून 2024

असदुद्दीन ओवैसी के 'जय पलेस्टीन' नारे से उठा विवाद

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 17वीं लोकसभा के शपथग्रहण के दौरान 'जय पलेस्टीन' का नारा लगाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यद्यपि लोकसभा में इस प्रकार के नारों को लगाने की प्रथा रही है, लेकिन ओवैसी के इस नारे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

विवाद का कारण

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक पदाधिकारी का कहना है कि ओवैसी के इस नारे ने 'विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा' का प्रदर्शन किया है और इसलिए उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता है। भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने संविधान के अनुच्छेद 102 का हवाला देते हुए कहा कि यह अनुच्छेद सदस्यता के लिए अयोग्यता की शर्तें बताता है।

ओवैसी ने इसका विरोध किया है और अपने कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने पलेस्टीन के लोगों के समर्थन में नारा लगाया, जो दबे-कुचले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य सांसदों ने भी विभिन्न नारों का प्रयोग किया जैसे 'जय हिंद', 'जय महाराष्ट्र', 'जय भीम', और 'जय शिवाजी'।

रक्षा और प्रतिक्रिया

ओवैसी का कहना है कि उनके इस कृत्य में कोई गलती नहीं है और यह उनके व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों का प्रदर्शन है। गृह मंत्री और संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच की जाएगी और संसदीय नियमों का पालन किया जाएगा।

ओवैसी ने अपने नारे को सही ठहराते हुए कहा कि यह उनके भावनाओं का प्रदर्शन है और वह पलेस्टीन के लोगों के समर्थन में थे, जो अत्याचार के शिकार हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है और उनकी आवाज को दबाना लोकतंत्र के खिलाफ है।

विधानसभा के सदस्यों का समर्थन

ओवैसी के मुद्दे पर अनेक सांसदों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ सांसदों का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है और ओवैसी ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है। सांसदों का यह भी कहना है कि पलेस्टीन के लोगों का समर्थन करना किसी भी तरह से संविधान के खिलाफ नहीं है।

हालांकि, कई सांसदों ने इसे अनुचित बताया है और कहा है कि शपथग्रहण के समय इस प्रकार के राजनीतिक बयानबाजी का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

संविधान और संसदीय नियम

भारत के संविधान में यह बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति संविधान और कानून के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर ही सांसद बन सकता है। संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत सदस्यता की अयोग्यता का प्रावधान है। इस अनुच्छेद के तहत, यदि कोई व्यक्ति विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन करता है, तो उसकी सदस्यता को अयोग्य करार दिया जा सकता है।

इस मामले में, संसद के नियमों का पालन किया जाना आवश्यक है। संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने कहा है कि इस मामले की समग्रता से जांच की जाएगी और जो निर्णय होगा, वह संविधान और संसद के नियमों के आधार पर ही लिया जाएगा।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

असदुद्दीन ओवैसी के 'जय पलेस्टीन' नारे ने लोकसभा में विवाद की स्थिति उत्पन्न कर दी है। यह विवाद संविधान और संसद के नियमों के पालन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ओवैसी का कहना है कि उन्होंने पलेस्टीन के लोगों के समर्थन में नारा लगाया, जबकि भाजपा का मानना है कि यह विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन है। इस मामले की जांच संसदीय नियमों के आधार पर होगी और जो निर्णय लिया जाएगा, वह संसद और संविधान के प्रावधानों के अनुसार ही होगा।

5 टिप्पणि

RAVINDRA HARBALA

RAVINDRA HARBALA

26 जून 2024

असदुद्दीन ओवैसी की इस हरकत को संविधान के अनुसार अयोग्यता की धारा 102 के तहत देखा जा सकता है, क्योंकि वह विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा दिखा रहे हैं। इस प्रकार के नारे संसद के गरिमापूर्ण मंच को कमज़ोर बनाते हैं। कई बार इतिहास ने दिखाया है कि ऐसे कदमों से सार्वजनिक विश्वास में गिरावट आती है। इसलिए यह सिर्फ राजनीतिक शो नहीं, बल्कि कानूनी जाँच का विषय है।

Vipul Kumar

Vipul Kumar

26 जून 2024

देखिए, संविधान का मूल उद्देश्य हर आवाज़ को सुनना है, चाहे वह कितनी भी विवादास्पद क्यों न हो। लेकिन शपथ समारोह में राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देनी चाहिए, यह हमारे वरिष्ठ राजनेताओं ने भी कहा है। इसलिए इस मुद्दे को संवैधानिक ढांचे में रखकर ही विचार करना उचित रहेगा। अंत में, सभी को समझना चाहिए कि लोकतंत्र में सम्मान और नियम दोनों जरूरी हैं।

Priyanka Ambardar

Priyanka Ambardar

26 जून 2024

देशभक्त नहीं तो क्या है, ऐसी बातें कही जा सकती हैं! 😠🇮🇳 हमारे देश की इज़्ज़त का ख्याल रखो, विदेशियों की सरहदें नहीं लेकर आओ।

sujaya selalu jaya

sujaya selalu jaya

26 जून 2024

मैं समझती हूँ कि हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है

Ranveer Tyagi

Ranveer Tyagi

26 जून 2024

भाईयो और बहनो, इस मुद्दे पर गहराई से सोचिए!!, संविधान की धारा 102 स्पष्ट रूप से कहती है कि अगर कोई संसद सदस्य विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा दिखाए तो वह अयोग्य हो सकता है!!!, असदुद्दीन ओवैसी का ‘जय पलेस्टीन’ नारा सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि कानूनी जाँच का मामला है!!!, इस तरह के सार्वजनिक मंच पर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को ले कर आना, हमारे लोकतंत्र की सच्ची भावना को चोट पहुंचा सकता है!!, कई बार हमें देखा गया है कि ऐसे कदमों से संसद में विवादों की लहरें उठती हैं, लेकिन नियमों का उल्लंघन करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए ठीक नहीं है!!, भाजपा की ओर से आया यह सख्त बयान, संविधान के प्रति सम्मान को दिखाता है!!, फिर भी हमें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, पर वह भी सीमाओं के अंदर रहनी चाहिए!!, अगर हम हर नारे को असंतोष के रूप में ले कर अकारण बैन कर देंगे तो हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को चोट लगेगी!!, इसलिए एक संतुलन बनाना जरूरी है!!, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का मार्गदर्शन आवश्यक होगा, क्योंकि कानूनी प्रक्रिया में ही न्याय मिलेगा!!, ओवैसी ने कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है, लेकिन वह अधिकार भी तब तक सीमित है जब तक वह राष्ट्र की एकता को नहीं तोड़ता!!, इस पर पार्लियामेंटरी कमेटी को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए, जिसमें सभी पहलुओं का विश्लेषण हो!!, जनता को भी इस प्रक्रिया में शामिल करके पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए!!, अंत में, हम सभी को संविधान की भावना को समझना चाहिए, और ऐसे नारे लगाने से पहले उसके संभावित परिणामों को ध्यान में रखना चाहिए!!, यही हमारा कर्तव्य है, चाहे आप किसी भी पक्ष के हों!!

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