हरियाणा के साइबर सेल ने एक ऐसा वीडियो जारी किया है, जिसने पूरे देश में तूफान मचा दिया — 19 मिनट 34 सेकंड का वीडियो, जिसे सोशल मीडिया पर करोड़ों लोग देखने के लिए तरस रहे थे। लेकिन जो लोग इसे शेयर कर रहे थे, वे अपने आप को कानून के दायरे में डाल रहे थे। अमित यादव, हरियाणा एनसीबी साइबर सेल के अधिकारी, ने 12 दिसंबर 2025 को एक आधिकारिक वीडियो में स्पष्ट किया: यह वीडियो कभी मौजूद नहीं हुआ। यह पूरी तरह से AI-जेनरेटेड है। कोई घटना नहीं, कोई व्यक्ति नहीं, कोई रिकॉर्डिंग नहीं। बस एक डिजिटल भ्रम। और इसे शेयर करना — चाहे आपने इसे देखा हो या न हो — अब एक गंभीर अपराध बन चुका है।
क्या है ये 19 मिनट 34 सेकंड का वीडियो?
इस वीडियो का नाम सिर्फ एक समय सीमा नहीं है — यह एक रहस्य बन गया है। यूट्यूब पर द ललांटोप और इंकहबार ऑफिशियल जैसे चैनल्स ने इसे वायरल करने के लिए झूठी कहानियां बनाईं। एक वीडियो में कहा गया: "इस वीडियो को फैला दिया गया... अब कानूनी फटका पड़ सकता है।" लेकिन जब पुलिस ने इसकी जांच की, तो पता चला — यह वीडियो एक भी वास्तविक फुटेज नहीं रखता। यह सिर्फ एक एल्गोरिदम द्वारा बनाया गया चित्र है, जिसमें लोगों के चेहरे, आवाज़ें, और बातचीत बिल्कुल फर्जी हैं।
यह डीपफेक इतना अच्छा बनाया गया था कि कई लोगों ने इसे असली मान लिया। कुछ ने इसे किसी शादी के दौरान घटना से जोड़ा, कुछ ने इसे एक अपहरण का रिकॉर्ड माना। लेकिन हरियाणा एनसीबी साइबर सेल ने जांच के बाद बताया: कई क्लिप्स पुरानी घटनाओं के हिस्से थे — जो इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं रखते। यह एक जानबूझकर बनाया गया भ्रम था।
कानून का तलवार: 2 लाख रुपये जुर्माना और 3 साल की जेल
अमित यादव ने स्पष्ट किया: इस वीडियो को देखना, डाउनलोड करना, फॉरवर्ड करना, या बस इसे अपने फोन पर सेव करना — सब अपराध है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 67 और 67A के तहत आता है, जो अश्लील सामग्री के प्रसार के लिए दंड तय करती है। इसके साथ ही आईटी एक्ट की धारा 66 भी लागू होती है, जो साइबर अपराधों के लिए दोषी को जेल और जुर्माना दे सकती है।
यानी — अगर आपने इसे WhatsApp पर भेजा, तो आप जिम्मेदार हैं। अगर आपने Instagram पर रील्स के रूप में शेयर किया, तो आप अपराधी हैं। अगर आपने बस इसे देखा और अपने डायरेक्ट में सेव कर लिया, तो भी आपके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। यह न केवल एक तकनीकी बात है — यह एक सामाजिक चेतावनी है।
क्यों इतना फैला ये वीडियो?
इसका कारण सिर्फ उत्सुकता नहीं है — यह एक बड़ी डिजिटल गेम है। इंटरनेट पर ऐसे वीडियो जानबूझकर बनाए जाते हैं, जिनका नाम आकर्षक हो — जैसे "19 मिनट 34 सेकंड"। यह नंबर एक रहस्य बन जाता है। लोग सोचते हैं: "क्या इतना लंबा वीडियो हो सकता है?" या "क्या इसमें कुछ ऐसा है जो दूसरे नहीं देख पाए?"
गूगल सर्च ट्रेंड्स के अनुसार, इस वाक्यांश की खोज सबसे अधिक बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में हुई। ये राज्य ऐसे हैं जहां इंटरनेट एक्सेस तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन डिजिटल साक्षरता अभी भी निचले स्तर पर है। लोग अक्सर वीडियो के सामग्री की जांच नहीं करते — बस शेयर कर देते हैं।
और यही वह जगह है जहां डीपफेक अपना असर दिखाता है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद, कई लड़कियों को अपमानित किया गया। उनके नाम और फोटो इस वीडियो से जोड़ दिए गए। कुछ लोगों ने उनके घर तक जाकर धमकियां दीं। यह एक नए प्रकार का साइबर अपराध है — जहां कोई वास्तविक घटना नहीं है, लेकिन नुकसान बहुत वास्तविक है।
अब नया वीडियो चर्चा में: "5.39 मिनट का वायरल वीडियो लिंक"
लेकिन यहां खत्म नहीं हो रहा। 13 दिसंबर 2025 को, एक नया वीडियो चर्चा में आया — "5.39 मिनट का वायरल वीडियो लिंक"। इसके बारे में कोई भी सरकारी एजेंसी ने पुष्टि नहीं की। कोई स्रोत नहीं, कोई विवरण नहीं, कोई प्रमाण नहीं। फिर भी, यह वीडियो अब टेलीग्राम और WhatsApp पर फैल रहा है।
क्या यह भी AI-जेनरेटेड है? शायद। क्या यह भी लोगों को फंसाने के लिए बनाया गया है? बिल्कुल। यह एक नया ट्रेंड बन रहा है — जहां लोग एक वीडियो के बाद दूसरा ढूंढते हैं। जैसे कोई खेल जिसमें जीत नहीं होती, बस खेलने का मजा होता है।
आप क्या कर सकते हैं?
हरियाणा एनसीबी साइबर सेल ने एक टूल — siteengine.com — का उल्लेख किया है, जिससे आप वीडियो की सत्यता जांच सकते हैं। यह टूल डीपफेक फीचर्स, आवाज़ के असमान बदलाव, और चेहरे के अस्वाभाविक गतिविधि को पहचानता है। लेकिन सबसे बड़ी बात — अगर आप नहीं जानते कि यह वास्तविक है या नहीं, तो शेयर मत करें।
कानून आपको जेल भेज सकता है। लेकिन आपका जिम्मेदारी से व्यवहार आपको और दूसरों को बचा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या बस वीडियो देखने से भी जुर्माना हो सकता है?
हां। भारतीय कानून के अनुसार, अश्लील सामग्री को "धारण करना" भी अपराध है, खासकर जब वह डीपफेक हो। अगर आप वीडियो को अपने फोन पर सेव करते हैं, तो यह आपके डिवाइस पर एक अवैध कॉपी बन जाती है। यह भी धारा 67 के तहत दंडनीय है।
क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस वीडियो को हटा रहे हैं?
हां, गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने कई लिंक्स हटा दिए हैं। लेकिन वे टेलीग्राम और WhatsApp पर नहीं हटा सकते — क्योंकि ये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं। इसलिए अब यह वीडियो अंधेरे में फैल रहा है — जहां कोई नहीं जानता कि कौन भेज रहा है।
क्या इस वीडियो का कोई असली स्रोत है?
नहीं। हरियाणा साइबर सेल ने वीडियो के फ्रेम्स की डिजिटल एनालिसिस की है — जिसमें आवाज़ के बीच अनियमित रुकावटें, चेहरे के असमान लाइटिंग और आंखों का गलत फोकस पाया गया। यह सभी AI जनित वीडियो के लक्षण हैं। कोई वास्तविक रिकॉर्डिंग नहीं मिली।
क्या यह वीडियो भारत में पहला AI-जेनरेटेड वायरल केस है?
नहीं। 2023 में उत्तर प्रदेश में एक AI-जेनरेटेड वीडियो ने एक राजनेता के खिलाफ झूठा बयान दिया था। 2024 में बिहार में एक लड़की के खिलाफ डीपफेक वीडियो फैलाया गया था। लेकिन इस बार वीडियो का आकार और जनता का प्रतिक्रिया बिल्कुल अलग है।
अगर मैंने इसे शेयर कर दिया, तो क्या मुझे गिरफ्तार कर लिया जाएगा?
गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी, लेकिन आपके खिलाफ एक FIR दर्ज की जा सकती है। पुलिस आपके डिवाइस का डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण कर सकती है। अगर आपने वीडियो को फॉरवर्ड किया है, तो आपके आईपी लॉग और डाउनलोड इतिहास से आपकी पहचान हो सकती है।
इस तरह के वीडियो बनाने वाले कौन हैं?
ये अक्सर ऑनलाइन गैंग्स होते हैं जो वीडियो के वायरल होने पर एड्स रेवेन्यू कमाते हैं। कुछ लोग इसे अपमान या भावनात्मक अस्थिरता पैदा करने के लिए भी बनाते हैं। इनमें से कई विदेशी सर्वर पर चलते हैं — जिससे पुलिस को उनकी पहचान करना मुश्किल होता है।
Basabendu Barman
दिसंबर 16, 2025 AT 19:49ये सब बकवास है भाई। पुलिस ने अपने बजट के लिए एक झूठा वीडियो बनाया है ताकि लोगों को डरा सके। असल में ये AI वीडियो कभी मौजूद नहीं हुआ, पर इसकी वजह से सब बेचारे फोन पर सेव कर रहे हैं और अब जेल का डर है। सोचो अगर कोई अपने बच्चे की फोटो सेव कर रहा है और उसमें एक AI चेहरा आ गया तो क्या वो भी अपराधी हो जाएगा? सरकार अपने नियंत्रण के लिए ऐसे गलत डर फैला रही है।