डarjeeling में भारी बारिश से 35 जगह पर भयावह भूस्लाइड, 23 मौतें

डarjeeling में भारी बारिश से 35 जगह पर भयावह भूस्लाइड, 23 मौतें

Saniya Shah 6 अक्तू॰ 2025

जब हरश वरदान शृंगला, राज्यसभा सांसद ने कहा कि "डarjeeling पहाड़ियों में भारी साइक्लोन के कारण 20 से अधिक लोगों की जान गई", तब सबको पता चल गया कि यह सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय त्रासदी है। 5 अक्टूबर 2025 को बिंबिसे घड़ी में 300 mm से अधिक बारिश ने डarjeeling जिला के 35 स्थानों पर भू‑स्लाइड को जन्म दिया। इस विनाशकारी परिदृश्य में 23 लोग, जिनमें सात बच्चे भी शामिल हैं, अपनी जान गंवा बैठे, जबकि सैकड़ों यात्रियों को पहाड़ी रास्तों में फँसा कर छोड़ दिया गया।

भू‑स्लाइड की पृष्ठभूमि और पिछले आँकड़े

डarjeeling, जिसे अक्सर "क्वीन ऑफ़ द हिल्स" कहा जाता है, में 2015 के बाद से सबसे गंभीर भूस्लाइड 2025 की इस घटना है। 2015 में लगभग 40 लोगों की मौत हुई थी, पर उस समय की तैयारी आज की स्थिति से काफी अलग थी। विशेषज्ञों का मानना है कि तेज़ हवाओं, बाढ़ और अवैध निर्माण ने पहाड़ियों की स्थिरता को कमजोर कर दिया।

यहाँ तक कि जलवायु परिवर्तन की प्रतिक्रिया में अत्यधिक वर्षा की आवृत्ति अब साल भर के बजाय कुछ ही हफ्तों में 300 mm से अधिक तक पहुँचती है। इस बदलाव ने न केवल जल संसाधनों को प्रभावित किया, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी की पकड़ भी घटा दी है।

घटना की विस्तृत जानकारी

घटना की शुरुआत शनिवार रात, 4 अक्टूबर, 2025 को हुई जब तेज़ बूँदाबाँदी ने पहाड़ी ढलानों को भिगो दिया। अगले दिन, रविवार को, कई बिंदुओं पर मिट्टी और चट्टानों की बड़े पैमाने पर गिरावट ने सड़कों, घरों और पुलों को एक साथ ध्वस्त कर दिया। प्रमुख स्थानों में मिरिक (11 मौतें), सर्साली, जासबीरगाँव, धर गाँव (मेची), नग्राकाटा और मिरिक लेक एरिया शामिल हैं।

रिस्क्यू ऑपरेशन्स को कुछ ही घंटे बाद नेशनल डिसास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) ने संभाला, पर भारी बाढ़ और ढहते हुए पुलों ने उनका काम कठिन बना दिया। कलिंगड के पास स्थित टेस्ताबाज़ार में एक आयरन ब्रिज भी धँस गया, जिससे सिक्किम तक का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया।

प्रतिक्रियाएँ और बचाव कार्य

डarjeeling क्षेत्र के गोक्खालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) के मुख्य कार्यकारी अनीत थापा ने कहा, "हमने 35 जगहों पर भूस्लाइड की सूचना प्राप्त की है, और तत्काल सहायता के लिए एरियल ड्रेसैसर और हेलीकॉप्टर भेजे हैं।” उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदय बघेल गुँहा ने स्थिति को "चिंताजनक" कहा, जबकि उन्होंने बताया कि शाम तक मौतों की संख्या 20 तक पहुँच गई थी, पर आंकड़े बढ़ने की संभावना है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी तरफ़ से "अत्यधिक बारिश और तेज़ धारा" के कारण हुई आपदा को लेकर गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने आगमन पर रोक लगाने, राहत वस्तुओं का वितरण और आपदा शमन के लिए विशेष कमिटी का गठन किया।

नॉर्थ बंगाल पुलिस के डीजी एवं इंस्पेक्टर जनरल राजेश कुमार यादव ने बताया कि "हवा और धुंध के कारण बचाव कार्य कठिन है, परन्तु सभी टीमें लगातार प्रयासरत हैं।" उन्होंने कहा कि अगले दो दिनों में स्वास्थ्य टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जाएगा।

आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव

आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव

भूस्लाइड ने केवल जान नहीं ली, बल्कि कई आर्थिक तंत्रों को भी ध्वस्त कर दिया। मिरिक‑सुखियापोखरी सड़कों के बंद होने से स्थानीय व्यापारियों की आय में 60 % तक की गिरावट आई। टूरिस्ट ख़ासकर दुर्गा पूजा के बाद यात्रा करने वाले लोगों को रूकना पड़ा, जिससे होटल और यात्रा एजेंसियों को लगभग 1.2 crore रुपये का नुकसान हुआ।

बौद्ध भू-जल स्तर में वृद्धि के कारण भूटान की टाला हाइड्रोपावर डैम भी ओवरफ़्लो करने लगी। यह तकनीकी गड़बड़ी न केवल बौध़ान के लिए बल्कि भारत के उत्तर पश्चिमी जलप्रवाह के लिए भी खतरा बन गई।

स्थानीय किसान भी जल स्तर में अचानक वृद्धि से प्रभावित हुए, क्योंकि कई खेती योग्य क्षेत्रों में अब बाढ़ के कारण बीज बोने की संभावनाएँ घट गई हैं।

भविष्य की दिशा और सुरक्षा उपाय

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम विज्ञान आधारित शुरुआती चेतावनी प्रणाली आवश्यक है। वर्तमान में भारत मौसम विज्ञान विभाग नई रडार तकनीक और सैटेलाइट इमेजिंग का उपयोग करके एक "भूस्लाइड एर्लर्ट" सिस्टम विकसित कर रहा है।

इसके अलावा, गवर्नर के आदेश पर डarjeeling जिला प्रशासन ने अवैध निर्माण, बिस्तर खनन और बिन‑अनुमति वाले बौद्धिक विकास परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगाने की सख्त योजना बनाई है।

एक और महत्वपूर्ण कदम है स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षण देना, ताकि वे पहले से ही वॉर्निंग सिग्नल को समझ सके और शीघ्र निकासी कर सके। पाँच साल में इस क्षेत्र में 8 नई आपदा प्रबंधन इकाइयों की योजना बनायी गयी है, जिसका लक्ष्य बचाव कार्य को तेज़ और व्यवस्थित बनाना है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भूस्लाइड से सबसे अधिक प्रभावित कौन‑से समुदाय हैं?

पहाड़ी गांवों के रहने वाले, विशेषकर मिरिक, सर्साली और जासबीरगाँव के लोग, यह आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। अधिकांश घर धँसल और बुनियादी ढांचा नष्ट हो गया, जिससे उन्हें अस्थायी शिविरों में रहना पड़ा।

सरकार ने राहत और पुनरुद्धार के लिए क्या कदम उठाए हैं?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपातकालीन राहत कैंप, भोजन और चिकित्सा सामग्री का प्रावधान किया। NDRF और GTA ने हवाई मदद, हेलीकॉप्टर और ड्रेसैसर भेजे। साथ ही, रोड क्लोजर को हटाने के लिए इंजीनियरिंग टीम को तैनात किया गया है।

भू‑स्लाइड की भविष्य में रोकथाम के लिए कौन‑से उपाय सुझाए गए हैं?

विशेषज्ञ नई मौसम‑आधारित चेतावनी प्रणाली, अवैध निर्माण पर कड़ी कार्रवाई, और स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अनुशंसा कर रहे हैं। साथ ही, जल निकासी उपाय और पहाड़ी वनस्पति की पुनर्स्थापना को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

पर्यटकों की स्थिति क्या है और उन्हें कैसे मदद मिल रही है?

सैकड़ों यात्रियों को स्थानीय स्कूलों और सामुदायिक हॉल में अस्थायी शरण दी गई है। पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों ने भोजन, पानी और प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया है। कुछ समूहों को निकटतम शहरों तक ट्रांसपोर्ट के लिए विशेष बसों से भेजा गया है।

14 टिप्पणि

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    tanay bole

    अक्तूबर 6, 2025 AT 04:58

    डarjeeling में इस बार की बाढ़ ने जलस्तर को असामान्य ऊँचा कर दिया, जिससे कई पहाड़ी गाँवों में जीवन अचानक खतरे में पड़ गया। तथ्य यह है कि 35 स्थानों पर एक साथ भूस्लाइड हुए और 23 लोगों की जान गई, जिसमें सात बच्चे भी शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत आपातकालीन सहायता के लिए एरियल ड्रेसैसर और हेलीकॉप्टर भेजे हैं।

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    Arjun Dode

    अक्तूबर 9, 2025 AT 16:18

    भाई साहब, इस दंगे को देखकर दिल तो करता है कि सब मिलकर मदद करें, नहीं तो और भी सांता‑गायत्री की तरह आपदा आएगी।

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    Mayank Mishra

    अक्तूबर 13, 2025 AT 03:38

    भूस्लाइड की गंभीरता अक्सर आँकड़ों में ही नहीं, बल्कि लोगों की पीड़ित आवाज़ में भी बताई जाती है। इस बार डarjeeling में उतनी ही तेज़ बारिश हुई कि मिट्टी की पकड़ पूरी तरह टूट गई। प्रत्येक बिंदु पर गिरावट ने घर, स्कूल और अस्पतालों को तहस‑नहस कर दिया। सैकड़ों यात्रियों को पहाड़ी रास्तों में फँसा कर छोड़ दिया गया, जिससे उनके जीवन की सुरक्षा खतरे में पड़ी। बचाव दल को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ा, क्योंकि बाढ़ ने कई पुलों को भी नष्ट कर दिया था। हेलीकॉप्टरों को अक्सर धुंध और तेज़ हवा का सामना करना पड़ा, जिससे मिशन में देरी हुई। इस आपदा ने दिखा दिया कि मौजूदा आपदा प्रबंधन प्रणाली में कई खामियां हैं। स्थानीय प्रशासन की तत्पर प्रतिक्रिया सराहनीय थी, पर फिर भी कई क्षेत्रों में सहायता देर से पहुँची। नौजवान स्वयंसेवकों ने बिना किसी भुगतान के मदद की, लेकिन उन्हें उचित सुरक्षा उपकरण नहीं मिले। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बार होंगी। इसलिए मौसम विज्ञान आधारित चेतावनी प्रणाली को तत्काल लागू करना चाहिए। साथ ही, अवैध निर्माण पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि वही इस आपदा का मुख्य कारण है। भूमि उपयोग नीतियों को पुनर्समीक्षा कर, सतत विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। ग्रामीण समुदायों को प्रशिक्षण देकर, वे भी प्रारंभिक चेतावनी को समझ सकेंगे। आर्थिक नुकसान के आंकड़े भी चौंका देने वाले हैं, क्योंकि पर्यटन और कृषि दोनों को बड़ी हानि हुई है। अंत में, इस आपदा से सीख लेकर, भविष्य में ऐसी त्रासदी को न्यूनतम करने की collective responsibility हम सभी की है।

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    Sagar Singh

    अक्तूबर 16, 2025 AT 14:58

    भूस्लाइड ने कहर मचा दिया है। लोग डर के मारे बाहर नहीं जा पा रहे हैं

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    Ajay Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 02:18

    इहा तो जैसे पॆहरा पॆ हर चीज़ बर्बाद होगई है, क्य़ोंकि मेटेओरोलोजी ने तो पूरा बकवास कर दिया।

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    Vishnu Das

    अक्तूबर 23, 2025 AT 13:38

    डarjeeling में भारी बारिश, तेज हवा, और अनियंत्रित बाढ़, सभी मिलकर एक भयानक परिदृश्य बना रहे हैं, जिससे राहत कार्य कठिन हो रहा है, और लोगों की सुरक्षा खतरे में है।

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    pragya bharti

    अक्तूबर 27, 2025 AT 00:58

    जैसे प्रकृति ने हमें सिखाया है कि सब कुछ क्षणभंगुर है, इस आपदा ने वह सत्य और स्पष्ट कर दिया।

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    vishal Hoc

    अक्तूबर 30, 2025 AT 12:18

    सरकार ने मदद का वादा किया है, लेकिन जमीन पर काम अभी शुरू होना बाकी है।

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    Sampada Pimpalgaonkar

    नवंबर 2, 2025 AT 23:38

    डarjeeling की सुंदरता अब खून से सनी हुई है, जहाँ हर सुबह का चाय अब धुंध में खो गया है।

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    rudal rajbhar

    नवंबर 6, 2025 AT 10:58

    एक बार फिर दिख गया कि विकास की दर से सुरक्षा का भाईचा नहीं है, अब देर न करें, तुरंत कार्रवाई शुरू करो!

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    santhosh san

    नवंबर 9, 2025 AT 22:18

    जैसे कवि ने लिखा, "धरती कहती है मेरी पीड़ा सुनो", इस बार वह आवाज़ गूँजती है हर बाड़े में।

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    aishwarya singh

    नवंबर 13, 2025 AT 09:38

    यह देखना दिल को बहुत कष्ट देता है कि ऐसे प्राकृतिक आपदाएं मानवीय चूक के कारण और भी बढ़ जाती हैं। अगर हम पेड़ों की कटाई को नियंत्रित नहीं करेंगे तो भविष्य में ऐसी घटनाएं बार-बार हो सकती हैं। साथ ही, स्थानीय लोगों को चेतावनी प्रणाली के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। सरकार को अब जल्दी से जल्दी वैकल्पिक रास्ते खोलने चाहिए। आशा है कि जल्द ही राहत कार्य पूरी गति से चल पड़ेगा।

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    sandeep sharma

    नवंबर 16, 2025 AT 20:58

    बिल्कुल सही कहा तुमने, अगर जलवायु को समझा नहीं गया तो बस वहीँ बिन‑सिरफिरा होगा।

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    Raj Bajoria

    नवंबर 20, 2025 AT 08:18

    भारी बाढ़, गंभीर चिंता।

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