बिहार चुनाव: PM मोदी का लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले और आरक्षण नीति को लेकर हमला

बिहार चुनाव: PM मोदी का लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले और आरक्षण नीति को लेकर हमला

Saniya Shah 7 मई 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में किये गये वक्तव्य में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता लालू प्रसाद यादव पर कठोर आलोचना की गयी है। उन्होंने लालू पर उनकी मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान शक्तियों के दुरुपयोग और चारा घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगाये। इसके अलावा, मोदी ने लालू द्वारा मुसलमानों के लिए आरक्षण प्रदान करने की टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा कि आरक्षण किसी धार्मिक पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक शर्तों पर निर्धारित होना चाहिए।

18 टिप्पणि

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    Shritam Mohanty

    मई 7, 2024 AT 19:27

    मोदी का लालू के खिलाफ ये हमला सिर्फ अपना फायदा बढ़ाने का खेल है।

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    Anuj Panchal

    मई 7, 2024 AT 19:40

    मोदी जी ने लालू प्रसाद यादव की दरियों में बहाए हुए घोटालों को उजागर किया, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि राजनीतिक ताने-बाने में अक्सर बीती बातों को फिर से खींचा जाता है।
    चारा घोटाले की बात अक्सर स्थानीय स्तर पर कई जांचों को उलझा देती है।
    वास्तव में इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से खड़ा करना क्या राजनीतिक रणनीति नहीं?
    आरक्षण की बात भी तभी समझ में आती है जब आर्थिक असमानता को असली आंकड़ों से परखा जाए।
    सच्चाई को समझने के लिए हमें सभी पक्षों की जांच करनी चाहिए।

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    Prakashchander Bhatt

    मई 7, 2024 AT 21:03

    ऐसे बयान हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि आरक्षण नीति को धार्मिक आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक मानदंडों पर आधारित होना चाहिए।
    लालू जी ने जो कहा, वह निश्चित ही सामाजिक न्याय की दिमागी परत को छूता है।
    भले ही विवाद हो, लेकिन चर्चा का मंच खुला रहना आवश्यक है।
    आखिरकार, लोकतंत्र का मूल यही है कि विभिन्न आवाज़ें सुनी जाएँ।

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    Mala Strahle

    मई 7, 2024 AT 22:26

    बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का नाम हमेशा ही विविधता और विवाद का प्रतीक रहा है।
    प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में उन्हें चारा घोटाले और आरक्षण नीति के संदर्भ में निशाना बनाया, जिससे कई प्रश्न उठे।
    पहला सवाल यह है कि क्या एक राष्ट्रीय नेता को राज्य स्तर के मुद्दों को इतना खांडना उचित है।
    दूसरा, चारा घोटाले की बात करने से पहले वास्तविक तथ्यों की जांच कितनी व्यापक हुई?
    तीसरा, आरक्षण पर लालू के बयान को आर्थिक मानदंड के अलावा धार्मिक पहचान के आधार पर ले लेना क्या राजनीति का नया चलन है?
    ऐसे बयान अक्सर सामाजिक विभाजन को और गहरा करते हैं।
    भिन्न-भिन्न वर्गों के लोग इन टिप्पणियों को अपने-अपने दृष्टिकोण से देखते हैं।
    कई बार यह देखा जाता है कि सत्ता में रहने वाले लोग विरोधी पार्टी के नेताओं को दंडित करके अपने समर्थन को मजबूती देते हैं।
    वहीं, लालू की पिछली नीतियों को देखा जाए तो वह सामाजिक न्याय के पक्ष में रहे हैं, लेकिन उनका तरीका कभी-कभी विवादास्पद रहा है।
    इसलिए, यह कहना आसान है कि दोनों पक्षों में से कोई भी पूरी तरह सही या गलत नहीं है।
    एक संतुलित दृष्टिकोण से इस मुद्दे को समझना चाहिए, जिसमें वास्तविक डेटा और जनता की राय दोनों को महत्व दिया जाए।
    समाज में आर्थिक असमानता का स्तर अभी भी बहुत अधिक है, और इसे दूर करने के लिए व्यापक नीति बनानी चाहिए।
    राजनीतिक शब्दों के खेल में अक्सर तथ्य पीछे छूट जाते हैं, पर जनता को सतही बातों से हटकर गहरी जाँच करनी चाहिए।
    भविष्य में अगर ऐसी ही बहसें दोहराई जाएँ, तो संभव है कि राजनीतिक भरोसा और भी कम हो।
    अंत में, हमें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सम्मान देना चाहिए और सभी को समान आवाज़ देने का प्रयत्न करना चाहिए।

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    Ramesh Modi

    मई 7, 2024 AT 23:50

    यहाँ पर एक बात उल्लेख करनी आवश्यक है: राजनीति का मंच अक्सर विचारों की गहराई को नहीं, बल्कि शोर को बढ़ावा देता!!
    यदि हम वास्तविक समस्याओं के मूल सार को नहीं समझे तो कोई भी चर्चा व्यर्थ रहेगी!!
    आर्थिक असमानता, सामाजिक एकता, और नैतिक दायित्व-इनको प्राथमिकता देना चाहिए!!

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    Ghanshyam Shinde

    मई 8, 2024 AT 01:13

    ओह, इतना ही? कोई जटिल समाधान नहीं, बस "शोर बढ़ाओ" ही काफी है, है ना? 🙄

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    SAI JENA

    मई 8, 2024 AT 02:36

    देश की प्रगति में सभी प्रमुखों का योगदान आवश्यक है, चाहे वे विरोधी पक्ष में हों या समर्थन में।
    भले ही विवाद रहे, लेकिन हमें constructive dialogue को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे सामाजिक उन्नति की राह स्पष्ट हो।

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    Hariom Kumar

    मई 8, 2024 AT 04:00

    सबका नजरिया अलग हो सकता है, पर अंत में हम सभी का लक्ष्य एक ही है – बिहार का उद्धार! 😊

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    shubham garg

    मई 8, 2024 AT 05:23

    भाई, बात तो सही है, लेकिन राजनीति में अक्सर बड़े शब्दों के पीछे छोटे काम छुपे होते हैं।

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    LEO MOTTA ESCRITOR

    मई 8, 2024 AT 06:46

    मैं सोचता हूँ कि दोनों पक्षों को थोड़ा कम झगड़ा करना चाहिए, और लोगों की असली जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए।

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    Sonia Singh

    मई 8, 2024 AT 08:10

    हाय सबको, बस इतना कहना चाहूँगी कि चाहे जो भी हो, हमें एक दूसरे की राय का सम्मान करना चाहिए।

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    Ashutosh Bilange

    मई 8, 2024 AT 09:33

    ये तो बिलकुल दंगल वाला मामला है, लालूजी के चारा वाला डाम्पा और मोदिया का रजत! मजे लो भाई!

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    Kaushal Skngh

    मई 8, 2024 AT 10:56

    एक तरफ़ पर आरोप, दूसरी तरफ़ पर बचाव – ऐसा लूप ही राजनीति में चलता रहता है।

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    Harshit Gupta

    मई 8, 2024 AT 12:20

    अगर मोदी जी ने देश की सुरक्षा और आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी तो हमें उसका समर्थन देना चाहिए, चाहे वह कोई भी विपक्षी नेता क्यों न हो।

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    HarDeep Randhawa

    मई 8, 2024 AT 13:43

    विचारों की इस बुनियाद पर हम सबको मिलकर एक ठोस नीति बनानी चाहिए; नहीं तो अंधाधुंध बहसें ही जारी रहेंगी!!!

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    Nivedita Shukla

    मई 8, 2024 AT 15:06

    हर वार्ता में एक नाटक तो होना ही चाहिए, नहीं तो कौन देखेगा?
    पर इस बार की टकराव में सच्चाई की खास जगह नहीं मिली।
    समाज को जो चाहिए, वह है स्पष्ट दिशा, न कि केवल शब्दों का तमाशा।

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    Rahul Chavhan

    मई 8, 2024 AT 16:30

    चलो हम सब मिलकर एक बेहतर बिहार के लिए काम करें, झगड़े छोड़कर समाधान ढूँढ़ें।

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    Joseph Prakash

    मई 8, 2024 AT 17:53

    मैं तो सोच रहा हूँ कि अगर सब मिलकर इस मुद्दे को समझें तो बहुत अच्छा होगा 😊👍

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