भारत में एक नयी प्रकार की मंकीपॉक्स वायरस क्लेड 1b का मामला दर्ज

भारत में एक नयी प्रकार की मंकीपॉक्स वायरस क्लेड 1b का मामला दर्ज

Saniya Shah 24 सित॰ 2024

भारत में मंकीपॉक्स वायरस का नया प्रकार

भारत में स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स वायरस के एक नये प्रकार क्लेड 1b के मामले की पुष्टि की है। केरल राज्य के मलप्पुरम जिले के 38 वर्षीय व्यक्ति को इस संक्रमण के साथ पहचाना गया है। यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से यात्रा करके लौटा था। यह मामला देश में उभर रहे नये प्रकार के मंकीपॉक्स वायरस के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले को पुष्टि की है और मरीज को केरल के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सा अधिकारियों ने मरीज के संपर्क में आए 27 लोगों के साथ-साथ 37 विमान यात्रियों की भी जांच की है, जिनमें से किसी में भी मंकीपॉक्स संक्रमण के संकेत नहीं मिले हैं।

मंकीपॉक्स का विकास और संक्रमण

क्लेड 1b वायरस की उत्पत्ति इस वर्ष की शुरुआत में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में हुई थी, जो इस क्षेत्र में विभिन्न क्लेड्स से जुड़े जटिल संक्रमणों के केंद्र में है। इसके संक्रमण का विस्तार कांगो से चार अन्य अफ्रीकी देशों में भी हो चुका है। अगस्त में, पहली बार क्लेड 1b की जानकारी अफ्रीका के बाहर स्वीडन और थाईलैंड में मिली थी।

स्वास्थ्य संगठनों की सिफारिशें

संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और निवारण केंद्र (CDC) ने अपने मंकीपॉक्स स्वास्थ्य चेतावनी को अद्यतन किया है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि क्लेड 1b से प्रभावित वयस्कों में संक्रमित मामलों का एक बड़ा हिस्सा घनिष्ठ या यौन संपर्क से जुड़ा हुआ है। CDC ने सुझाव दिया है कि जो व्यक्ति DRC या अन्य क्लेड 1 सक्रियता वाले देशों की यात्रा के दौरान यौन गतिविधियों की संभावना रखते हैं, उन्हें जेन्नियोस टीका की दो खुराक लगवाई जानी चाहिए। CDC ने स्वास्थ्य प्रदाताओं से यह भी आग्रह किया है कि वे मरीजों के साथ यौन इतिहास और यात्रा योजना पर चर्चा करें, जिसमें यात्रा के दौरान किसी भी यौन गतिविधि की संभावना को शामिल किया जाना चाहिए।

WHO की रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि क्लेड 1b के मामले DRC के पूर्वी हिस्से और बु्रंडी में फैल रहे हैं। WHO का मानना है कि पूर्वी DRC और पड़ोसी देशों के लिए उच्च जोखिम बना हुआ है। इसके अलावा, नाइजीरिया और पूर्वी, पश्चिमी और केंद्रीय अफ्रीका के देशों के लिए मध्यम जोखिम है। पूरे विश्व में मंकीपॉक्स के सामान्य मामलों में, WHO ने यूरोप और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों में बढ़ोतरी और अमेरिकास क्षेत्र में घटती प्रवृत्ति की पहचान की है।

भारत में संक्रमण के इस नये प्रकार ने स्वास्थ्य विभाग और आम जनमानस में एक नई चिंता पैदा कर दी है। इसके चलते, यात्रा और संपर्क इतिहास के महत्व पर जोर देते हुए, अत्यधिक सावधानी बरती जा रही है।

16 टिप्पणि

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    RAVINDRA HARBALA

    सितंबर 24, 2024 AT 23:51

    भारत में मंकीपॉक्स के क्लेड 1b का पता चलना एक चेतावनी संकेत है।
    यह नया वैरिएंट पहले अफ्रीका के कई देशों में ही देखा गया था।
    अब इसे भारतीय सीमा में पहचानना दर्शाता है कि वायरस की प्रवास गति बहुत तेज़ है।
    केरल के मरीज का हालिया यूएई यात्रा इतिहास इस बात को रेखांकित करता है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा जोखिम को बढ़ा रही है।
    स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत संपर्क ट्रेसिंग शुरू की है, जिससे संभावित प्रसार को रोका जा सके।
    इस प्रकार के मामलों में शीघ्र निदान और isolation अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    क्लेड 1b की विशेषता है कि यह यौन संपर्क या निकट संबंधों से अधिक फैल सकता है, जैसा कि CDC ने बताया है।
    इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह में यौन सुरक्षा और यात्रा इतिहास का खुला उल्लेख अनिवार्य है।
    इस वायरस के टीके की दो खुराक योजना को अपनाना चाहिए, खासकर जोखिम वाले समूहों के लिए।
    स्थानीय अस्पतालों को उन्नत प्रयोगशालाओं से जुड़ना चाहिए ताकि सैंपल की सही पहचान हो सके।
    आम जनता को भी घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन सावधानी बरतना अत्यावश्यक है।
    मास्क पहनना, हाथ धुलना और भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचना बेसिक उपाय हैं।
    यदि कोई लक्षण जैसे बुखार, फोड़ा या त्वचा पर घाव महसूस करे, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
    इस समय डॉक्टरों को मरीज की यौन इतिहास पूछने में संकोच नहीं करना चाहिए; यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।
    वैश्विक स्तर पर WHO और CDC की मार्गदर्शिकाओं का पालन करना भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगा।
    अंत में, यह घटना हमें याद दिलाती है कि महामारी की रोकथाम में व्यक्तिगत जिम्मेदारी सबसे बड़ी होती है।

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    Vipul Kumar

    सितंबर 25, 2024 AT 22:05

    इस नई जानकारी से हमें यह समझ में आता है कि वायरस की निरंतर निगरानी कितनी ज़रूरी है।
    आपसी सहयोग और समय पर वैक्सीन लेना रोग के प्रसार को रोक सकता है।
    सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
    हम सब मिलकर इस चुनौती का सामना कर सकते हैं।

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    Priyanka Ambardar

    सितंबर 26, 2024 AT 20:18

    भारत की सीमाओं में यह केस कोई छोटा मुद्दा नहीं है, हमें त्वरित कार्रवाई करनी होगी! 🔥
    देश की सुरक्षा सर्वोपरि है, और हम इसे बनाये रखेंगे! 🔥

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    sujaya selalu jaya

    सितंबर 27, 2024 AT 18:31

    सभी को यह खबर गंभीरता से लेनी चाहिए। सरकार की दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।

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    Ranveer Tyagi

    सितंबर 28, 2024 AT 16:45

    वाह! क्या बात है, केरल में मामला मिल गया!!! अब पूरी देश को सतर्क रहना पड़ेगा!!! वैक्सिनेशन को तेज़ी से बढ़ाओ~~~

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    Tejas Srivastava

    सितंबर 29, 2024 AT 14:58

    यह एक बड़ी चेतावनी है!!! हमें तुरंत कदम उठाने चाहिए!!
    सुरक्षा के नियमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता!!

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    JAYESH DHUMAK

    सितंबर 30, 2024 AT 13:11

    क्लेड 1b के उद्भव के पीछे कई एपीडेमियोलॉजिकल कारक कार्यरत हैं।
    पहले अध्ययन ने यह दर्शाया कि वायरस का जनसंक्रमण रूट मुख्यतः निकट संपर्क से होता है।
    दूसरी ओर, मानव-जानवर इंटरैक्शन भी इस संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है।
    भारत में इस वैरिएंट की पहचान से पहले के डेटा की पुनरावलोकन आवश्यक है।
    सामान्य जनता को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सूचना देना चाहिए।
    स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई प्रोटोकॉल जारी किए हैं, जिनमें क्वारंटाइन और परीक्षण शामिल है।
    इन प्रोटोकॉल का पालन न करने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
    अंत में, अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग और डेटा शेयरिंग इस संकट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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    Santosh Sharma

    अक्तूबर 1, 2024 AT 11:25

    विज्ञानी और चिकित्सकों का सहयोग इस समय अत्यधिक आवश्यक है।
    सभी को वैक्सीनेशन और परीक्षण में भाग लेना चाहिए।
    समाज में जागरूकता फैलाने से ही हम इस बीमारी को मात दे सकते हैं।

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    yatharth chandrakar

    अक्तूबर 2, 2024 AT 09:38

    भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए यात्रा इतिहास का सही दस्तावेज़ीकरण जरूरी है।
    स्वास्थ्य अधिकारियों को विस्तृत डेटा संग्रह करना चाहिए।

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    Vrushali Prabhu

    अक्तूबर 3, 2024 AT 07:51

    इहें खबर जानना बहुत ही इम्पोर्टैंट है।

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    parlan caem

    अक्तूबर 4, 2024 AT 06:05

    ये सब झंझट वाला लेख है, बेतुके तथ्य पेश कर रहे हैं, लोग घबरा रहे हैं बस। लेख को फिल्टर कर दो, बेकार की हडबड़ी मत करो।

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    Mayur Karanjkar

    अक्तूबर 5, 2024 AT 04:18

    एपिडेमिक मोडेलिंग दर्शाता है कि सैंपलिंग फ्रिक्वेंसी बढ़ाने से R0 को कुशलता से कम किया जा सकता है।

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    Sara Khan M

    अक्तूबर 6, 2024 AT 02:31

    सही में, बहुत ज्यादा पेंशन गड़बड़ है 😒

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    shubham ingale

    अक्तूबर 7, 2024 AT 00:45

    चलो मिलकर इस समस्या का समाधान करें। सबका सहयोग चाहिए।

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    Ajay Ram

    अक्तूबर 7, 2024 AT 22:58

    वर्तमान परिदृश्य में हम देख सकते हैं कि विश्व स्तर पर वायरस की गतिशीलता कितनी जटिल है।
    इसे समझने के लिए हमें एपीडेमियोलॉजी, जनसंख्या गतिशीलता और सामाजिक व्यवहार का समग्र विश्लेषण करना होगा।
    भारत में क्लेड 1b की उपस्थिति हमें यह सिखाती है कि वैश्विक यात्रा नेटवर्क में कोई भी कड़ी कमजोर हो सकती है।
    इसीलिए सरकारी एजेंसियों को नीतियों में लचीलापन और वैज्ञानिक आधार की आवश्यकता है।
    साथ ही, जनता को सूचनात्मक अभियानों के माध्यम से सतर्क करना अनिवार्य है।
    समग्र रूप से यदि हम सहयोगी भावना को बनाए रखें तो इस चपेट में आने वाले जोखिम को कम किया जा सकता है।

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    Dr Nimit Shah

    अक्तूबर 8, 2024 AT 21:11

    जिन्हें लगता है कि सब काम खुद ब खुद सही रहेगा, उन्हें थोड़ा रियलिस्टिक होना चाहिए।
    सुरक्षा उपायों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

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