भारत-कनाडा विवाद का उद्गम
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में ताजगी लाई है हारदीप सिंह निज्जर की हत्या। निज्जर, जो कनाडा के निवासी और खालिस्तानी अलगाववादी थे, को भारत ने आतंकवादी घोषित कर रखा था। इस हत्याकांड के बाद, कनाडा ने भारतीय राजनयिकों को 'व्यक्तियों की रुचि के तौर पर चिन्हित' किया, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा। भारतीय सरकार ने इन आरोपों को 'हास्यास्पद' बताया और कहा कि यह ट्रूडो सरकार की, खालिस्तानी वोट बैंक को खुश करने की राजनीतिक चाल है।
भारत का ज़ोरदार प्रतिवाद
भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ऐसे दुर्भावपूर्ण संदेशों का कोई आधार नहीं है। भारतीय सरकार ने ट्रूडो सरकार पर हिंसा और उग्रवाद को समर्थन देने और इसमें अपनी राजनीतिक चाल चलाने का आरोप लगाया।
कूटनीतिक प्रतिरोध: भारत और कनाडा की प्रतिक्रियाएं
भारत ने अपने उच्चायुक्त को कनाडा से वापस बुला लिया है और छह कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। हाल में, कनाडा ने भारतीय राजनयिकों को 'हिंसा के अभियान' में शामिल बताकर निष्काषित कर दिया, जिसे लेकर बयान बाजी उत्पन्न हुई।
कनाडा की रॉयल माउंटेड पुलिस के आयुक्त, माइक दुहेम ने भारतीय राजनयिकों को गुप्त गतिविधियों और जानकारी जुटाने के अभिप्राय में शामिल बताया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे 'बेतुकी' और 'उद्धेश्यपूर्ण' खबर बताते हुए कनाडा पर कोई साक्ष्य न देने का आरोप लगाया।
राजनयिक तनाव के संभावित परिणाम
यह विवाद द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लंबे समय तक गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ती इस दूरी को लेकर विचार मंथन जारी है।
तथ्य | विवरण |
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मामले की शुरुआत | हारदीप सिंह निज्जर की हत्या |
भारत के खिलाफ आरोप | कनाडा में भारतीय राजनयिकों द्वारा सलिप्तता |
भारत की प्रतिक्रिया | कनाडाई राजनयिकों का निष्कासन |
आगे की राह: समाधान की दिशा में
भारत और कनाडा के नेता अब दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, यह टकराव हालिया राजनयिक कहानी है, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में ज्वालामुखी चिंगारी पैदा कर दी है।