टोनी क्रूस का अंतर्राष्ट्रीय करियर
जर्मनी के महान फुटबॉल खिलाड़ी और रियल मैड्रिड के मिडफील्डर, टोनी क्रूस ने यूरो 2024 में जर्मनी की जल्दी बाहर होने के बाद अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया है। 34 वर्षीय क्रूस ने अपने करियर में 114 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले और 17 गोल दागे हैं। उन्होंने 2014 के फीफा वर्ल्ड कप में जर्मन टीम का हिस्सा रहते हुए विश्व कप जीता था।
क्रूस ने अपने करियर की शुरुआत 2010 में जर्मनी की राष्ट्रीय टीम से की थी और तब से उन्होंने अपनी टीम के लिए बहुत गति और समर्थन प्रदान किया है। हालांकि, इस साल उन्हें एक बार फिर अपने अंतर्राष्ट्रीय रिटायरमेंट को रिवर्स करना पड़ा ताकि वे अपने घरेलु यूरोपियन चैंपियनशिप में भाग ले सकें। लेकिन, जर्मनी की टीम स्पेन से क्वार्टर-फाइनल में 2-1 से हार गई, और उनकी यात्रा समाप्त हो गई।
अंतर्राष्ट्रीय करियर का अंत
क्रूस का मानना है कि जर्मनी की टीम का जल्दी बाहर होना एक बहुत बड़ा झटका था। उन्होंने कहा, "हम सबका एक बड़ा लक्ष्य था जिसे हम मिलकर हासिल करना चाहते थे, लेकिन हमारा सपना टूट गया।" फिर भी, वे अपनी टीम को आने वाले समय में सफलता की आशा में देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह टीम बेहतर प्रदर्शन करेगी। क्रूस ने कहा, "मैं इस बात पर गर्व करता हूँ कि मैंने जर्मनी को एक फुटबॉलिंग राष्ट्र के रूप में वापसी करते हुए देखने में मदद की है।"
थॉमस मुलर का संकेत
जर्मनी के एक और महान खिलाड़ी, थॉमस मुलर, ने भी इस हार के बाद अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर को अलविदा कहने का संकेत दिया है। 34 वर्षीय मुलर ने 131 मैचों में 45 गोल किए हैं और अपने करियर में कई प्रमुख उपलब्धियाँ हासिल की हैं। मुलर ने कहा, "बहुत अधिक संभावना है कि यह मेरा अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच था।"
मुलर के इस बयान के बाद उनकी टीम के अन्य अनुभवी खिलाड़ी, जैसे कैप्टन इल्काय गुंडोगन और मैनुअल न्यूर भी अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर पर विचार कर सकते हैं। यह निर्णय जर्मनी के 2024 यूरो कप में जल्दी बाहर होने के बाद आया है, जो कि मेजबान होते हुए भी तीन बार के चैंपियन की टीम के लिए एक शर्मनाक स्थिती थी।
फुटबॉल समर्थकों की प्रतिक्रिया
जर्मनी के फुटबॉल समर्थक भी इस हार से काफी निराश हैं। इस हार ने टीम के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, समर्थकों को अभी भी उम्मीद है कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के साथ जर्मनी जल्द ही अपनी पुरानी प्रतिष्ठा को वापस पा सकेगा।
भविष्य की उम्मीदें
भले ही क्रूस और मुलर जैसे अनुभवी खिलाड़ी अब टीम का हिस्सा नहीं रहेंगे, लेकिन उनकी विरासत और अनुभव नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। जर्मनी की फुटबॉल टीम को अब अपने नए और युवा खिलाड़ियों पर ध्यान देना होगा ताकि वे आने वाले टूर्नामेंटों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर सकें।
गुंडोगन और न्यूर जैसे खिलाड़ियों के ऊपर भी अभी भविष्य की जिम्मेदारी है, और वे संभवतः अपनी अनुभव और मार्गदर्शन के जरिए टीम को एक बार फिर से शिखर पर पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
तो नई पीढ़ी से उम्मीदें
जर्मनी फुटबॉल टीम के प्रशंसकों को उम्मीद है कि नई पीढ़ी के खिलाड़ी, ट्रेनिंग और उत्साही मनोबल के साथ टीम को मजबूत करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में जर्मनी फुटबॉल का नया अध्याय किस दिशा में जाता है।