शेयर बाजार में आज की भारी गिरावट ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में फैग-एंड ट्रेड के दौरान महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट सभी प्रमुख क्षेत्रों में देखने को मिली है, जिसने बाजार में अनिश्चितता और अशांति का माहौल पैदा किया है। बीएसई सेंसेक्स में 900 अंक से भी अधिक की गिरावट देखी गई, जबकि एनएसई निफ्टी 24,500 अंक के नीचे चला गया है। ब्लॉगिंग कब शुरू होती है, सेंसेक्स 902 अंक यानी 1.11% कम होकर 80,249 पर और निफ्टी में 310 अंक यानी 1.25% की गिरावट दर्ज की गई।
गिरावट के कारणों की पड़ताल
इस गिरावट से बीएसई का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग 8.9 लाख करोड़ रुपये कम होकर 444.66 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। बीते सत्र में यह 453.65 लाख करोड़ रुपये था। कई प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एसबीआई, एलएंडटी, टीसीएस, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और मारुति सुजुकी इंडिया के शेयरों में भारी गिरावट आई।
लाभ बुकिंग और विदेशी निवेशकों का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही की तेजी के बाद मुनाफा बुकिंग भी एक महत्वपूर्ण कारण है। वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रेटजी के निदेशक क्रांति बथिनी के अनुसार, घरेलू इक्विटी पर मुनाफा बुकिंग का प्रभाव पड़ा है। कई आर्थिक संकेतकों ने मध्यम से लेकर दीर्घावधि में आर्थिक नरमी का संकेत दिया है। इस संकट के समय में, यह बात भी उभर कर आई है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारी मात्रा में शेयर बेचे हैं, जिसके चलते बाजार प्रभावित हुआ है। अक्टूबर 21 तक एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार एफआईआईज़ ने 88,244 करोड़ रुपये के शेयरों की रिकॉर्ड बिक्री की है।
जहां एक ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सत्र में 3,225.91 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, वहीं विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2,261.83 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। खास तौर पर इस समय 'बाय ऑन डिप' की रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जैसा कि जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वीके विजयकुमार ने सुझाव दिया।
वैश्विक बाजार का प्रभाव
आज के दिन वैश्विक बाजार भी कमजोर रहे। जापान का निक्केई 1.39% गिरा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी सूचकांक 1.31% फिसला, जबकि हांग कांग का हैंग सेंग लगभग स्थिर रहा। वहीं, शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.54% चढ़ा। यह सभी घटनाएँ मिलकर भारतीय बाजार पर दबाव डाल रही हैं, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
अंततः, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों का यह मिश्रण भारतीय शेयर बाजार के लिए अस्थिरता का कारण बना हुआ है। निवेशकों को एक निश्चित दिशा की प्रतीक्षा है, जिसमें बाजार विशेषज्ञों का सुझाव है कि मौजूदा समय में दीर्घकालिक अवसरों पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है।