'Bad Newz' फिल्म: बॉलीवुड की पुरानी यादों की बुराइयां
फिल्म 'Bad Newz' का निर्देशन आनंद तिवारी ने किया है और इसमें प्रमुख भूमिकाओं में विक्की कौशल, तृप्ति डिमरी और अम्मी विर्क नजर आते हैं। हालांकि फिल्म को एक प्रमुख संदेश देने की कोशिश की गई है, लेकिन कमजोर लेखन और पात्र निर्माण के अभाव में यह फिल्म अपनी बात कह पाने में सफल नहीं हो पाई है।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी सलोनी बग्गा (तृप्ति डिमरी) की है, जो दुर्लभ प्रजनन प्रक्रिया हेटरोपैटरनल सुपरफीकंडेशन के माध्यम से जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली है, जिनके अलग-अलग जैविक पिता होते हैं। इस अजीब परिस्थिति के चलते फिल्म में महिलाओं की एजेंसी और उनके अपने शरीर पर अधिकार का मुद्दा उठाया गया है।
कहानी की शुरुआत एक दिलचस्प परिस्थिति से होती है पर जल्द ही यह अपने मोटे और बिखरे हुए कथानक की वजह से ध्यान खींचने में असमर्थ हो जाती है। मुख्य किरदारों के बीच संबंध और उनकी व्यक्तिगत यात्रा को समझाने में फिल्म में गहराई का अभाव है। कई जगहों पर तात्कालिकता और तनाव की कमी के कारण कहानी में संतुलन बना रहना मुश्किल हो जाता है।
कलाकारों का प्रदर्शन
विक्की कौशल ने फिल्म में एक चुलबुले पंजाबी मां का बेटा, अखिल चड्ढा के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है। उनका चुलबुलापन और सहजता कुछ हद तक फिल्म में जीवन डालते हैं। उनकी कॉमेडी टाइमिंग फिल्म के कुछ सबसे जीवंत और आनंददायक क्षण प्रदान करती है। लेकिन इतने प्रयास के बावजूद उनकी भूमिका फिल्म को पूरी तरह से बचाने में नाकाम रहती है।
वहीं तृप्ति डिमरी ने सलोनी बग्गा का किरदार निभाते हुए एक जुझारू महिलार्थक का किरदार निभाया है। परन्तु, कमजोर पटकथा और चरित्र विकास के अभाव में उनकी भूमिका भी अधूरी लगती है। यह कहते हुए दुख होता है कि उन्हें फिल्म में अभिनय का पूरा अवसर नहीं मिल पाता है और दर्शक के दिलों में अपनी प्रभाव नहीं छोड़ पाती हैं। अम्मी विर्क की भूमिका फिल्म में और जोड़ डालने की जगह, कहानी का समर्थन करने में नाकाम रहती है।
नॉस्टेल्जिया का उपयोग
फिल्म में कई जगहों पर पुरानी क्लासिक बॉलीवुड फिल्मों जैसे 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', 'कुछ कुछ होता है' जैसी फिल्मों की यादें ताजा की गई हैं। इन क्लासिक फिल्मों के संदर्भ का उपयोग दर्शकों की भावनात्मकता को जोड़ने का प्रयास करता है। लेकिन इसकी अति और इनकी अधिक निर्भरता फिल्म की मौलिकता को खत्म कर देती है।
लेखन और निर्देशन
आनंद तिवारी का निर्देशन फिल्म को एक मजबूत दिशा में ले जाने में अव्यवस्थित और बिखरा हुआ प्रतीत होता है। स्क्रिप्ट में संवादों की कमजोरी और कहानी के मौलिक तत्वों का अभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। लेखन में महिलाओं की एजेंसी और स्वतंत्रता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की गई है, परन्तु यह प्रयास आधे अधूरे के साथ ही समाप्त हो जाता है।
फिल्म में भावनात्मकता की गहराई को छूने की कोशिश की गई है, परन्तु यह हर बार असफल रहती है। कमजोर लेखन और पात्रों की गहराई की कमी के चलते दर्शक कहानी के साथ जुड़ नहीं पाते हैं।
मध्यमांतर और निष्कर्ष
फिल्म लगभग 142 मिनट की है और अपने मध्यमांतर में भी यह दर्शकों की रुचि बनाए रखने में मुश्किल महसूस करती है। कुल मिलाकर, 'Bad Newz' एक अनोखी अवधारणा पर आधारित होते हुए भी यह उचित लेखन और सुसंगठित निर्देशन के अभाव में अपनी चमक को बरकरार नहीं रख पाती है।